“मैं पिछले 3 साल से MPPSC की तैयारी कर रहा हूं। वन सेवा मेरा सपना था। अब पता चला कि इस साल एक भी पद नहीं है,” कहते हैं भोपाल के 26 वर्षीय अभ्यर्थी राहुल शर्मा, जो सैकड़ों निराश युवाओं में से एक हैं।
नए साल की पहली रात को मध्य प्रदेश के लाखों युवाओं के सपने चकनाचूर हो गए। MPPSC ने 2025 का नोटिफिकेशन रात 11:55 बजे जारी किया, जिसमें सिर्फ 158 पदों की घोषणा की गई, जबकि युवाओं की मांग 700 पदों की थी।
वन सेवा में शून्य भर्ती: एक गंभीर चिंता
मध्य प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र (94,689 वर्ग किलोमीटर) रखता है, में इस साल वन सेवा के लिए एक भी पद नहीं निकाला गया है। यह स्थिति तब है जब:
- राज्य में वन अधिकारियों की 25% पोस्टें खाली हैं
- पिछले 5 वर्षों में लगभग 1500 छात्रों ने वन सेवा की विशेष तैयारी की
- वन्यजीव संरक्षण और जनजातीय क्षेत्र प्रबंधन के लिए अधिकारियों की तत्काल आवश्यकता है
प्रशासनिक सेवाओं में कटौती
डिप्टी कलेक्टर के मामले में स्थिति और भी चिंताजनक है:
- 200 रिक्त पदों के बावजूद केवल 10 पदों पर भर्ती
- सामान्य श्रेणी के लिए मात्र 2 पद
- डीएसपी के 22 पद, जो वर्तमान आवश्यकता से काफी कम हैं
“यह सिर्फ नौकरियों का मामला नहीं है। हर खाली पद का मतलब है एक गांव या क्षेत्र का विकास प्रभावित होना,” कहते हैं प्रशासनिक सेवा संघ के एक वरिष्ठ सदस्य।
युवाओं का संघर्ष जारी
नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के सदस्यों ने 90 घंटे तक लगातार प्रदर्शन किया। “हम अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे। यह सिर्फ नौकरी का सवाल नहीं है, यह हमारे भविष्य का सवाल है,” कहते हैं यूनियन के एक प्रदर्शनकारी।
क्या है आगे की उम्मीद?
विशेषज्ञों का मानना है कि:
- प्री परीक्षा के पहले पदों में बढ़ोतरी की संभावना कम है
- 2024 में 3.5 लाख आवेदकों की तुलना में 2025 में आवेदन कम हो सकते हैं
- राज्य सरकार को शीघ्र नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता है
मध्य प्रदेश में प्रशासनिक सेवाओं में भर्ती की यह स्थिति राज्य के विकास और युवाओं के भविष्य दोनों के लिए चिंताजनक है। समय की मांग है कि सरकार युवाओं की आकांक्षाओं और राज्य की प्रशासनिक आवश्यकताओं के बीच एक संतुलन बनाए।
यह रिपोर्ट हमारे इंदौर ब्यूरो द्वारा तैयार की गई है।