मंदसौर।
गरोठ तहसीलदार नारायण नांदेड़ा के कारनामें अखबारों को रंग ही रहे है, उल्लेखनीय है भू-माफियाओं के खिलाफ काम कर प्रदेश सरकार की मंशा के विरूद्ध बदइंतजामी, भ्रष्टाचार को पोषित कर रही तहसीलदार नांदेड़ा की कार्य प्रणाली भू-माफियाओं को पोषित कर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान मंशा को धवस्त कर रही है, वहीं क्षेत्र के विधायक देवीलाल धाकड़ जैसे धाकड़ जनप्रतिनिधि के क्षेत्र के वोट बैंक को भी प्रभावित कर सकती है। उल्लेखनीय है तहसीलदार नांदेड़ा का मंदसौर कार्यकाल भी खोज का विषय हो सकता है।
बताया जाता है कि मंदसौर मुख्यालय पर जब नांदेड़ा विराजमान थे तब कांग्रेस की सरकार थी सूत्र बताते है तब इन्होंने नोटिस-नोटिस और चमको माइसिन देकर भू-माफियाओं और जमीनी विवादों और शिकायतों को लेकर खूब मलाई मारी, तब नये नये आये एक एसडीएम के राजस्व मामले नांदेड़ा जी ही देखते थे सो एसडीएम के जर्ये नांदेड़ा जी ने खूब हिसाब बनाया इसके बाद भाजपा कार्यकाल में भी श्री नांदेड़ा चर्चित हो रहे थे, जिसके चलते मुख्यालय विधायक यशपालसिंह सिसोदिया ने नांदेड़ा को गडार लगा दिया और उनका ट्रांसफर रतलाम हो गया लेकिन रतलाम की आबों हवा मंदसौर जैसी हरी भरी नहीं थी सो तिकड़म भीड़ा कर भाजपा के शासन में ही वे मंदसौर ग्रामीण क्षेत्र गरोठ आ गये और यहां भी वे चिन्हित प्रकरणों को उलझा कर एसडीएस की जांच को झुठला तो रहे है, पूर्व पुलिस कप्तान पाण्डे जी के अनुसंधान को भी प्रभावित कर एक कालोनाईजर की गोद में बैठकर भ्रष्टाचार की लोरी सुनने जैसा काम कर रहे है।
मंदसौर में भी भू-माफियाओं का पिछली गली से साथ देने के मामले में कालोनाईजर से सरकारी जमीन की हेरा फेरी को लेकर इनकी हमजोली चर्चा का विषय बनी थी।