मंदसौर। श्रेणी-2 के अतिशेष शिक्षकों (उच्च श्रेणी शिक्षक और माध्यमिक शिक्षक) की शिक्षक विहीन स्कूलों में पदस्थापना के लिए रविवार को प्रदेश के सभी जिलों में काउंसिलिंग की गई। काउंसिलिंग की निगरानी के लिए लोक शिक्षण संचालनालय स्तर पर समिति गठित की गई है। अब इस काउंसलिंग के बाद अधिकारियों द्वारा की गई लापरवाही सामने आई। अतिशेष के बाद स्थिति यह बन रही है कि जिले में संस्कृत विषय में 42 अतिशेष शिक्षक सामने आए है। वहीं पोस्ट सिर्फ पांच ही खाली है। शेष शिक्षकों से असहमति पत्र भरवाया गया। ऐसे में अब शिक्षकों में अक्रोश व्याप्त है। शिक्षकों का कहना है कि जब जिले में पोस्टिंग की गई तो संभाग के अन्य जिले में युक्तियुक्त करण क्यों किया जा रहा है।
यह है जिले से बाहर पोस्ट होने का कारण
आपको बता दे कि प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों के स्थानांतरण के संबंध में कमान जिला शिक्षाधिकारी के पास होती है। माध्यमिक विद्यालय में इसकी कमान संभाग स्तर पर बैठे अधिकारी के पास होती है। वहीं वर्ग एक के शिक्षकों के लिए राज्य स्तर पर निर्णय लिया जाता है। ऐसे में वर्ग दो के मतलब माध्यमिक विद्यालय के संस्कृत भाष के शिक्षकों की संख्या 42 अतिशेष मिली। जब पोस्ट देखी गई तो सिर्फ पांच ही खाली मिली। अब जब संभाग स्तर पर बैठे अधिकारी शेष बचे 37 शिक्षकों को संभाग में कहीं भी भेज सकते हैं। यह स्थिति सिर्फ संस्कृत विषय ही नहीं, बल्कि अन्य विषयों में भी सामने आई है। इस तरह का मामला सिर्फ मंदसौर जिले ही नहीं, बल्कि प्रदेश में कई जगहों पर सामने आ रहे हैं। यहीं कारण है कि अतिशेष शिक्षकों की इस प्रक्रिया को लेकर शुरुआत से ही शिक्षकों में आक्रोश देखा जा रहा है।
अधिकारियों के खिलाफ आक्रोश
शिक्षकों का कहना है कि जब स्कूलों मे रिक्त पद ही नही था तो पदस्थ क्यों किया गया जिससे अतिशेष की स्थिति निर्मित हुई। सबसे पहले सरकार को शिक्षा विभाग के ऐसे अधिकारियों को चिंहित करना चाहिए जिनके कारण शिक्षा विभाग में विसंगतिपूर्ण नीतियों के कारण पूरे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खडा हुआ और शिक्षकों में सरकार के प्रति आक्रोश पनप रहा है। विसंगतिपूर्ण योजनाओं और नीति निर्धारण करने वाले अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही होना चाहिए। जिससे भविष्य में शिक्षाविभाग में ऐसी स्थिति निर्मित ना हो जिससे कि शिक्षा व्यवस्था एवं शिक्षको को परेशान होना पड़े।
अब कोर्ट भी जा रहे शिक्षक, स्टे भी मिला
अतिशेष शिक्षकों के मामले में स्कूल शिक्षा विभाग की मुश्किल बढ़ती जा रही है। एक विभाग अतिशेष शिक्षकों के मामले में कोई गड़बड़ी नहीं होना मान रहा है दूसरी तरफ अब अदालत भी अतिशेष बताने पर सवाल उठा रही है। एक महिला शिक्षक रूपा वर्मा की याचिका पर हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने पूछा कि डीईओ बताएं किस आधार पर इस महिला शिक्षक को अतिशेष माना।सुनवाई के बाद रूपा को उच्च न्यायालय द्वारा एक महीने का स्टे भी दिया गया। हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि यदि महिला शिक्षक इस दौरान स्थानांतरित स्कूल में कार्यभार ग्रहण नहीं करती तो उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए।