शनिवार को सोशल मीडिया पर जीएसटी काउंसिल की एक घोषणा ने हंसी और व्यंग्य से भरपूर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ ला दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई बैठक में बताया गया कि रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न, जो नमक और मसालों से मिक्स हो और पैक किया गया हो, उस पर 12% जीएसटी लगेगा। वहीं, कैरेमलाइज्ड पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी लगेगा।
जीएसटी काउंसिल द्वारा जारी स्पष्टीकरण के अनुसार, अब स्नैक्स पर लगने वाला टैक्स उनकी सामग्री (ingredients) पर निर्भर करेगा। अगर रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न पैकेज्ड नहीं है, तो उस पर 5% टैक्स लगेगा, लेकिन अगर वही पैकेज्ड है, तो 12% टैक्स देना होगा। वहीं, कैरेमलाइज्ड पॉपकॉर्न को ‘शुगर कन्फेक्शनरी’ की कैटेगरी में रखते हुए 18% टैक्स लगाने का फैसला किया गया।
इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने मजेदार टिप्पणियां करते हुए पूछा, “पॉपकॉर्न के फ्लेवर से जीएसटी का कनेक्शन कैसे हो गया?” कई मीम्स में लिखा गया कि अब मूवी डेट पर पॉपकॉर्न लेना भी “लक्जरी खर्च” बन गया है।
इसके साथ ही, काउंसिल ने कुछ और बड़े फैसले लिए:
1. पुराने वाहनों की खरीद पर अब 18% जीएसटी लगेगा।
2. फोर्टिफाइड चावल पर टैक्स घटाकर 5% कर दिया गया।
3. स्विगी और जोमैटो जैसे फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर टैक्स की दरें तय करने का फैसला फिलहाल टाल दिया गया।
4. जीन थेरेपी को जीएसटी से पूरी तरह छूट दी गई।
वहीं, बैंकों द्वारा उधारकर्ताओं पर लगाए गए दंडात्मक शुल्क (पेनल चार्ज) पर भी कोई जीएसटी नहीं लगेगा। इसके अलावा, बीमा प्रीमियम पर टैक्स घटाने का निर्णय अभी लंबित है क्योंकि इस पर और सुझाव मांगे गए हैं।
यह निर्णय दर्शाता है कि सरकार अब हर छोटे प्रोडक्ट की बारीकियों पर ध्यान दे रही है, लेकिन सोशल मीडिया पर इसे “टैक्स के नाम पर मसालेदार पॉपकॉर्न” करार दिया गया