BRIF -मध्यप्रदेश सरकार ने आर्थिक संकट से निपटने के लिए 33 विभागों की 70 से अधिक योजनाओं पर वित्तीय प्रतिबंध लागू किया है। अब इन योजनाओं के लिए धनराशि खर्च करने से पहले वित्त विभाग से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा।
यह प्रतिबंध मार्च 2025 तक लागू रहेगा और इसमें सड़क मरम्मत, शहरी विकास, कृषि सहायता, शिक्षा, रोजगार, और महिला-बाल कल्याण जैसी प्रमुख योजनाएं शामिल हैं। इसका मतलब है कि इन योजनाओं से संबंधित कोई भी खर्च वित्त विभाग की स्वीकृति के बिना नहीं किया जा सकेगा, जिससे सीधे तौर पर आम जनता पर असर पड़ेगा।
आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही मध्यप्रदेश सरकार ने सरकारी खर्चों पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाए हैं। सरकार के वित्त विभाग ने 33 विभागों की 70 से अधिक योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लागू की है। अब इन योजनाओं में किसी भी प्रकार का खर्च करने से पहले वित्त विभाग की मंजूरी अनिवार्य होगी। यह पाबंदी मार्च 2025 तक जारी रहेगी, जिसका मतलब है कि नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत तक यह रोक लागू रहेगी।
जिन योजनाओं पर पाबंदी लगाई गई है, वे सीधे आम जनता से जुड़ी हैं। इनमें सड़क मरम्मत, शहरी सड़कों के सुधार के लिए कायाकल्प योजना, PWD की सड़कों का उन्नयन, डामरीकरण और नवीनीकरण, मुख्यमंत्री बालिका स्कूटी योजना, किसानों के लिए बोनस, कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, संबल योजना, सीएम सोलर पंप स्कीम, बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रशिक्षण, उच्च शिक्षा के लिए विदेश अध्ययन, और तीर्थ यात्रा योजना शामिल हैं।
इन योजनाओं के लिए अब खजाने से धनराशि जारी करने से पहले वित्त विभाग की अनुमति लेनी होगी। वित्त विभाग की इस सख्ती का उद्देश्य फिजूलखर्ची को रोकना है, जिससे राज्य के आर्थिक हालात सुधारने में मदद मिल सके।
सरकार ने स्कूल शिक्षा, किसान कल्याण, शहरी विकास, स्वास्थ्य, परिवहन, महिला-बाल विकास, ग्रामीण विकास, ऊर्जा और अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग समेत कुल 33 विभागों की 70 से अधिक योजनाओं पर यह पाबंदी लगाई है। स्पष्ट है कि अब इन योजनाओं पर खर्च करने से पहले वित्त विभाग की स्वीकृति अनिवार्य होगी, ताकि राज्य के वित्तीय संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।