
इंदौर नगर निगम में 10 करोड़ का घोटाला! अफसरों की सांठगांठ से जनता के पैसे पर डाका?
इंदौर नगर निगम के अफसरों पर एक विज्ञापन एजेंसी के साथ मिलीभगत कर 10 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का गंभीर आरोप लगा है। नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने इस घोटाले का खुलासा करते हुए लोकायुक्त से शिकायत करने की बात कही है। मामला यूनिपोल, लॉलीपॉप और बस स्टैंड के विज्ञापन ठेके से जुड़ा है, जो खत्म होने के बाद भी एक साल तक अवैध रूप से चलता रहा। सवाल यह उठता है कि क्या सरकारी अधिकारी नियमों को ताक पर रखकर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा रहे हैं?
इंदौर नगर निगम पर फिर सवाल! कभी इंटरनेशनल सिंगर लगा जाते हैं चूना, तो कभी अफसर खुद कर देते हैं घोटाला!
इंदौर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं। कभी मशहूर इंटरनेशनल सिंगर बिना अनुमति शो कर करोड़ों का चूना लगा जाते हैं, तो कभी खुद अफसरों की मिलीभगत से जनता के टैक्स के पैसे पर डाका डाल दिया जाता है! इस बार मामला 10 करोड़ रुपये के घोटाले का है, जिसमें नगर निगम के अफसरों पर एक विज्ञापन एजेंसी के साथ सांठगांठ का आरोप लगा है। यूनिपोल, लॉलीपॉप और बस स्टॉप विज्ञापन का ठेका खत्म होने के बाद भी एक साल तक अवैध रूप से जारी रहा और निगम ने कोई शुल्क नहीं वसूला। आखिर कब तक इंदौर नगर निगम की नाकामी का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा?
टेंडर खत्म, फिर भी जारी रहा विज्ञापन!
चौकसे का आरोप है कि नगर निगम ने 1 मार्च 2019 को जयपुर की एनएस पब्लिसिटी कंपनी को यूनिपोल, लॉलीपॉप और बस स्टॉप पर विज्ञापन लगाने का ठेका पांच साल के लिए दिया था, जो 1 मार्च 2024 को समाप्त हो गया। इसके बावजूद, नगर निगम के राजस्व और मार्केट विभाग की मिलीभगत से यह कंपनी अब तक विज्ञापन कर रही है, जिससे नगर निगम को 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
राज्य सरकार ने बताया अवैध, फिर भी जारी रहा खेल!
कोरोना काल का बहाना बनाकर नगर निगम ने इस कंपनी को ठेका जारी रखने की अनुमति दी। हालांकि, राज्य सरकार ने इस फैसले को गलत करार दिया और इसे रद्द करने का आदेश दिया। बावजूद इसके, नगर निगम के अधिकारी इस कंपनी को अवैध रूप से विज्ञापन जारी रखने दे रहे हैं, और उससे कोई शुल्क भी नहीं वसूला जा रहा है।
यूनिपोल लगाने के नियमों की भी उड़ाई धज्जियां
2014 की सरकारी नीति के अनुसार, चौराहों, महापुरुषों की प्रतिमाओं और बगीचों के पास यूनिपोल नहीं लगाए जा सकते। साथ ही, फुटपाथ को भी विज्ञापन सामग्री से मुक्त रखने के निर्देश दिए गए थे। बावजूद इसके, नगर निगम ने बीआरटीएस कॉरिडोर पर इन नियमों का उल्लंघन किया और ठेकेदार को अवैध रूप से यूनिपोल लगाने दिया।
SHORT विज्ञापन बोर्ड का साइज भी किया बड़ा!
चौकसे का कहना है कि बीआरटीएस कॉरिडोर में लॉलीपॉप साइज 3×4 फीट तय था, लेकिन ठेकेदार ने इसे बढ़ाकर 3×5 फीट कर दिया। नगर निगम के अधिकारियों ने जानबूझकर इस अनियमितता को नजरअंदाज किया।
सरकारी संपत्ति पर भी डाका!
भ्रष्टाचार का आलम यह है कि जब भंवरकुआं चौराहे पर फ्लाईओवर का निर्माण हुआ, तब इस एजेंसी ने बीआरटीएस कॉरिडोर की जालियां ही उखाड़कर हड़प लीं। इससे पहले भी निरंजनपुर से सत्य साईं चौराहे तक निर्माण कार्य के दौरान ऐसी ही घटना सामने आई थी। लेकिन नगर निगम ने अब तक इस पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया।
क्या महापौर कार्रवाई करेंगे?
चौकसे ने मांग की है कि महापौर अगर इस घोटाले में शामिल नहीं हैं, तो उन्हें खुद इसकी शिकायत लोकायुक्त से करनी चाहिए। साथ ही, नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों को बर्खास्त कर इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जानी चाहिए।
क्या इंदौर की जनता के टैक्स का पैसा ऐसे ही लूटा जाता रहेगा? या इस घोटाले के दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी?