इंदौर में हुए यो यो हनी सिंह (HONEY SINGH)के हाई-वोल्टेज शो के बाद नगर निगम की सख्ती सुर्खियों में है। 50 लाख के टैक्स के एवज में 1 करोड़ का साउंड सिस्टम जब्त कर अधिकारी अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। लेकिन सवाल ये उठता है कि जब यही प्रशासन दिलजीत दोसांझ (DILJEET DOSANJH)के शो पर 2 करोड़ का टैक्स नोटिस भेज चुका है, तो अब तक कोई वसूली क्यों नहीं हुई?

हनी सिंह के शो पर ताबड़तोड़ एक्शन, लेकिन दिलजीत पर FIR तक नहीं!

8 मार्च 2025 को इंदौर में हुए हनी सिंह(HONEY SINGH) के शो से पहले आयोजकों को 50 लाख का टैक्स नोटिस जारी किया गया था। लेकिन जब उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो नगर निगम ने आयोजन के बाद साउंड सिस्टम जब्त कर लिया। वहीं, दिलजीत दोसांझ के शो पर 2 करोड़ का टैक्स बकाया होने के बावजूद अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई

शो के दौरान ही टैक्स वसूली क्यों नहीं की गई?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि नगर निगम ने पहले ही कार्रवाई क्यों नहीं की? जब आयोजकों ने टैक्स नहीं चुकाया था, तो निगम ने शो के दौरान ही उसे रुकवाने की कोशिश क्यों नहीं की? अगर निगम के अधिकारी उसी रात मौके पर पहुंचकर पहले टैक्स जमा कराने की शर्त रखते, तो शायद सामान जब्त करने की नौबत ही नहीं आती।

दिलजीत दोसांझ के टैक्स मामले में क्यों है देरी?

नगर निगम के राजस्व प्रभारी निरंजन सिंह चौहान ने बताया कि दिलजीत दोसांझ के शो के आयोजकों पर 2 करोड़ रुपए का बकाया है। बार-बार नोटिस देने के बावजूद न टैक्स चुकाया गया और न ही सीए रिपोर्ट जमा की गई।

चौहान ने बताया कि इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस से संपर्क किया गया, लेकिन पुलिस उलझन में है कि किस धारा के तहत केस दर्ज किया जाए।

आम जनता के लिए अलग कानून, बड़े लोगों के लिए अलग?

यहां सबसे बड़ा सवाल यह भी उठता है कि जब आम आदमी का मामूली टैक्स बकाया रह जाए तो नगर निगम के अधिकारी उसे परेशान करने से पीछे नहीं हटते। कभी बिजली काट दी जाती है, कभी संपत्ति ज़ब्त कर ली जाती है, तो कभी कानूनी कार्रवाई कर दी जाती है।

लेकिन जब बात बड़े आयोजकों, सेलिब्रिटीज़ और रसूखदार लोगों की आती है, तो अधिकारियों का रवैया अचानक से नर्म क्यों हो जाता है? क्या नियम-कानून सिर्फ आम जनता के लिए हैं? क्या बड़े सितारों पर कार्रवाई से प्रशासन बचना चाहता है?

अब कोर्ट का रुख करेगा नगर निगम

नगर निगम ने अब इस मामले में कोर्ट में जाने का फैसला किया है। खजराना एसीपी कुंदन मंडलोई ने भी पुष्टि की है कि अब तक दिलजीत दोसांझ के मामले में कोई FIR दर्ज नहीं हुई है।

क्या है आगे की कार्रवाई?

क्या नगर निगम की कार्रवाई एकतरफा है? क्या कानून सभी पर समान रूप से लागू होगा? या फिर बड़े आयोजकों को बचाने की कोशिश हो रही है? इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है? कमेंट में बताएं!

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