waqf बोर्ड:वक्फ बोर्ड एक ऐसी संस्था है जो भारत में तीसरा सबसे बड़ा भूमि मालिक है। वक्फ बोर्ड का काम इस्लामी कानून के तहत जमीनों और अन्य संपत्तियों को धर्मार्थ कार्यों के लिए वक्फ (समर्पित) करना होता है। जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ करता है, तो वह संपत्ति अल्लाह के नाम पर स्थायी रूप से समर्पित हो जाती है और उस व्यक्ति या उसके परिवार का उस पर कोई अधिकार नहीं रह जाता है। वक्फ संपत्ति की देखभाल और प्रबंधन के लिए एक म्यूटवली (प्रबंधक/ manager ) नियुक्त किया जाता है।
भारत में वक्फ बोर्ड की स्थापना और संचालन के लिए कई कानून बनाए गए हैं, जिनमें 1913 का मुस्लिम वक्फ वैलिडेटिंग एक्ट और 1995 का वक्फ एक्ट प्रमुख हैं। वर्तमान में देश में 32 वक्फ बोर्ड हैं, जिनमें शिया और सुन्नी समुदायों के लिए अलग-अलग बोर्ड होते हैं। ये बोर्ड वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं और उनसे उत्पन्न धन का उपयोग धर्मार्थ कार्यों के लिए करते हैं।
वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में से अधिकतर कब्रिस्तान, मस्जिदें, दुकानें और कृषि भूमि हैं। हालाँकि, वक्फ बोर्ड के पास इतनी संपत्तियाँ होने के बावजूद, उसकी आय बहुत कम है। 2006 की सच्चर समिति की रिपोर्ट में बताया गया कि अगर वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों का सही उपयोग किया जाए तो उनकी कुल संभावित आय 12,000 करोड़ रुपये हो सकती थी, लेकिन वास्तविक आय मात्र 163 करोड़ रुपये थी। इस विफलता का एक बड़ा कारण प्रबंधन में भ्रष्टाचार और वक्फ संपत्तियों का गलत इस्तेमाल है।
वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के कब्जे और उपयोग में भी कई समस्याएँ हैं। कई मामलों में निजी और सरकारी एजेंसियों ने वक्फ भूमि पर कब्जा कर लिया है। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों को बहुत कम किराए पर दिया गया है, जिससे बोर्ड को पर्याप्त आय नहीं हो पाती।
वर्तमान में वक्फ कानून में सुधार के लिए सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किया है, जिसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित हैं। जैसे , केंद्रीय वक्फ परिषद में दो मुस्लिम महिलाओं और दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य किया गया है। साथ ही, सरकार ने वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने के लिए कलेक्टर को और अधिक शक्तियाँ दी हैं।
वक्फ बोर्ड के मुद्दों को लेकर विभिन्न धारणाएँ और विवाद सामने आते रहते हैं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि वक्फ बोर्ड की समस्याओं का समाधान केवल कानून में संशोधन से नहीं हो सकता। इसके लिए प्रभावी प्रबंधन, पारदर्शिता, और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण आवश्यक है।
सरकार के इस संशोधन विधेयक से क्या वाकई में वक्फ बोर्ड की समस्याओं का समाधान होगा या इसके पीछे कोई और एजेंडा है, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सही उपयोग और प्रबंधन न केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि पूरे समाज के लिए लाभकारी हो सकता है।