भोपाल। मध्यप्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में इस वक्त जबरदस्त हलचल है। मुख्यमंत्री सचिवालय और पुलिस मुख्यालय (PHQ) के बीच एक अदृश्य टकराव की स्थिति बन गई है, और वजह बनी हैं CM की प्राथमिकता वाली A+ और A श्रेणी की 100 से ज्यादा फाइलें, जो अब तक पुलिस मुख्यालय में लंबित पड़ी हैं।

बड़ी बात ये है कि CM खुद इन फाइलों की मॉनिटरिंग करते हैं और अब 27 मई को CM डॉ. मोहन यादव इन फाइलों की समीक्षा करने वाले हैं। यानी PHQ के लिए मुश्किल समय शुरू हो चुका है।
क्यों फंसी हैं ये A+ और A फाइलें?
CM सचिवालय हर दिन प्रदेश के अलग-अलग अहम मुद्दों पर संबंधित विभागों को फाइलें भेजता है। इनमें से जो मामले बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, उन्हें A+ या A श्रेणी में चिह्नित किया जाता है।
श्रेणी | कार्रवाई की समय सीमा | मॉनिटरिंग |
---|---|---|
🟢 A+ | 24 घंटे से 5 दिन | सीधे CM ऑफिस से |
🟡 A | 15 दिन | सीधे CM ऑफिस से |
इन फाइलों पर तेजी से कार्रवाई होना शासन की प्राथमिकता मानी जाती है। लेकिन PHQ जैसे संवेदनशील विभाग में इन फाइलों पर कोई ठोस एक्शन नहीं हुआ, जिससे सवाल उठ रहे हैं।
हर महीने आती हैं 200 से ज्यादा प्राथमिकता वाली फाइलें
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री कार्यालय से हर महीने औसतन 200 A+ और A श्रेणी की फाइलें विभिन्न विभागों को भेजी जाती हैं, जिनका उद्देश्य प्रशासन को सक्रिय बनाए रखना होता है।
लेकिन जब PHQ जैसी महत्वपूर्ण संस्था ही इन पर एक्शन नहीं ले रही, तो सवाल उठना लाज़मी है:
- क्या पुलिस महकमे में लापरवाही है?
- क्या फाइलों को लेकर अंदरूनी टकराव है?
- क्या कोई बड़ा प्रशासनिक फेरबदल आने वाला है?
27 मई की बैठक होगी निर्णायक
27 मई को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद CM मॉनिट सिस्टम के तहत इन लंबित फाइलों की समीक्षा करेंगे। सूत्रों के अनुसार, CM सचिवालय के अफसर इस मुद्दे को बैठक में ज़रूर उठाएंगे। ऐसे में PHQ पर जवाबदेही तय हो सकती है।
संभावित असर
- प्रशासनिक सख्ती बढ़ सकती है
- जवाबदेही तय हो सकती है
- विभागीय फेरबदल संभव