
हरियाली, सुंदरीकरण और पत्थरकारी के काम ने पकड़ी रफ़्तार, परिसर अब वर्क ज़ोन में तब्दील
मंदसौर। प्रतिमान परियोजना ‘पशुपतिनाथ लोक’ अब अपने निर्णायक चरण में है। लंबे समय से चल रहे निर्माण कार्यों में इस सप्ताह तीव्रता दिखाई दे रही है। प्रशासनिक सूत्रों और स्थल पर दिखते वास्तविक कार्यों को देखते हुए अनुमान है कि अगले एक माह में पूरा परिसर उद्घाटन योग्य स्वरूप ले सकता है।
पशुपतिनाथ लोक के खुले हिस्सों में अब हरियाली विकसित करने का कार्य आरंभ हो चुका है। छोड़े गए विस्तृत भूभाग पर मिट्टी समतलीकरण के बाद फूल–पौधों और लैंडस्केपिंग की प्लानिंग शुरू हो गई है। मंदिर क्षेत्र में आने वाले हजारों श्रद्धालुओं को ठहरने, बैठने और घूमने के लिए सौंदर्यपूर्ण वातावरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह सेगमेंट सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पत्थरकारी व संरचनात्मक कार्य अंतिम दौर में इस परियोजना में जोधपुरी स्टोनवर्क, द्वार–स्तंभ श्रृंखला, शिल्प पैनल, आरामदायक पाथवे और थीमैटिक वॉल रिलीफ प्रमुख बिंदु रहे हैं। वर्तमान में यह सभी हिस्से लगभग पूर्णता की ओर हैं। पाथवे पर पत्थर बिछाने, स्तंभों की अंतिम पॉलिश और मंडपों की फिनिशिंग पर निरंतर कार्य जारी है।
अगामी सिंहस्थ के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण प्रगति
पशुपतिनाथ लोक को आगामी सिंहस्थ-2028 की विशाल भीड़ और धार्मिक महत्त्व को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है। इसी कड़ी में मद कोर्ट क्षेत्र के काश्तकार होटल से लेकर पशुपतिनाथ की छोटी पुलिया तक रेलिंग निर्माण का प्रावधान भी तय किया गया है, जिससे पैदल आने–जाने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित मार्ग उपलब्ध हो सके।
तस्वीरों में दिखा जमीनी सच, परिसर अब पूरी तरह निर्माण मोड में
स्थल से आई ताज़ा तस्वीरें बताती हैं कि पूरा परिसर इस समय विशाल वर्क ज़ोन की शक्ल ले चुका है।कहीं कारीगर पत्थर की कटिंग करते दिखते हैं, तो कहीं स्तंभों पर अंतिम हाथ लगाया जा रहा है। मुख्य द्वार और चौक क्षेत्र में टाइलिंग व संरचनात्मक समतलीकरण जारी है। निर्माण सामग्री की आवाजाही, मशीनों की आवाज़ और लगातार दौड़–भाग यह संकेत देती है कि काम ने सचमुच रफ़्तार पकड़ी है।
अंतिम टच के बाद भव्य स्वरूप की प्रतीक्षा
लोक क्षेत्र में हरियाली, लाइटिंग, बैठकों की व्यवस्थाएं और थीमैटिक सज्जा अगले चरण में तेजी से जोड़ी जाएगी। यदि यही गति बनी रही, तो पशुपतिनाथ लोक अगले कुछ हफ्तों में ही अपने पूर्ण भव्य स्वरूप में सामने आ सकता है।शहर की धार्मिक–सांस्कृतिक पहचान के इस महाकाय प्रोजेक्ट का इंतज़ार श्रद्धालुओं और शहरवासियों को अब और ज़्यादा सताने लगा है, पर संकेत साफ हैं कि इंतज़ार लंबा नहीं रहेगा।
निर्माण की रफ्तार अच्छी… पर गुणवत्ता पर भी रहे कड़ी नजर
पशुपतिनाथ लोक जैसे हाई-विज़िबिलिटी और दीर्घकालीन धार्मिक-पर्यटन प्रोजेक्ट में काम की गति जितनी ज़रूरी है, गुणवत्ता उतनी ही निर्णायक।स्थानीय विशेषज्ञों का मत है कि पत्थरकारी, लैंडस्केपिंग, ड्रेनेज, इलेक्ट्रिकल फिटिंग, मूर्तिकला और पब्लिक सुविधाओं में क्वालिटी कंट्रोल का मानक कठोर रहना चाहिए, ताकि आने वाले वर्षों में यह परिसर किसी भी प्रकार की दरार, रिसाव, धंसान या मरम्मत की आवश्यकता से दूर रहे।
निगरानी समितियों, टेक्निकल सुपरविजन, और थर्ड-पार्टी ऑडिट सेसुनिश्चित किया जा सकता है कि
पत्थर और सामग्री की क्वालिटी श्रेष्ठ रहे
संरचनात्मक मजबूती दीर्घकाल तक कायम रहे
हरियाली और लाइटिंग टिकाऊ और सुरक्षित हो
श्रद्धालुओं की सुरक्षा एवं सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता मिले
गुणवत्ता पर नजर चौकस रहे तो ‘पशुपतिनाथ लोक’ आने वाली पीढ़ियों के लिए स्मारक बन जाएगा।”




