

मंदसौर। इधर शादियों की तैयारियां चल रही है और इधर छोटे नोटों की किल्लत शादी वाले परिवारों को तनाव दे रही है। शनिवार को देवउठनी ग्यारस के साथ ही शादी-ब्याह का सीजन शुरू हो चुका है, लेकिन इस बार लोगों को तैयारियों से ज्यादा छोटे नोटों की कमी परेशान कर रही है। बाजार और बैंकों में 10 और 20 रुपये के नोटों का टोटा होने से लोगों को छोटे खर्चों और दान-दक्षिणा जैसे कार्यों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
शादियों के मौके पर जहां बारातियों को दक्षिणा देने, मंदिरों में चढ़ावा चढ़ाने और छोटे-छोटे भुगतानों की जरूरत होती है, वहीं अब बाजार में सिर्फ 100, 200 और 500 रुपये के नोट ही आसानी से मिल पा रहे हैं। छोटे नोट न मिलने से ग्राहक और छोटे दुकानदार दोनों परेशान हैं। बैंकोंं में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। पिछले कई महीनों से ग्राहकों को 10 और 20 रुपये के नोट नहीं मिल पा रहे। दीपावली के समय भी बैंक में छोटे नोट नहीं आए, जिससे लोगों को त्योहारी सीजन में भी दिक्कतें झेलनी पड़ीं। हमने इस संबंध में कुछ व्यापारियों से बात की। उन्होंने बताया कि ग्राहक 20 रुपये का सामान लेते हैं, पर चेंज न होने से 100 रुपये का नोट देते हैं। बाकी पैसे लौटाना मुश्किल हो जाता है। मंदसौर के अरुण शर्मा ने बताया कि बैंक से छोटे नोट नहीं मिल रहे। शादी में कई जगहों पर छोटे नोटों की जरुरत पड़ती है। जिससे परेशानी ज्यादा हो रही है।
दुकानदारों के लिए भी तनाव
छोटे नोटों की कमी से खासतौर पर सब्जी विक्रेता, चाय दुकान, मिठाई विक्रेता, ठेला संचालक और हाट बाजार में व्यापार करने वाले प्रभावित हैं। उनके लिए ग्राहकों को छुट्टा लौटाना बड़ी चुनौती बन गया है। छोटे नोटों की कमी से न केवल व्यापार प्रभावित हो रहा है, बल्कि ग्राहकों के साथ बहस तक की नौबत आ रही है।
इधर पांच के नोट अघोषित रूप से बंद
इधर सबसे बड़ा तनाव यह हो रहा है कि पांच के नोट मंदसौर में अघोषित रूप से बंद कर दिए गए है। नियमानुसार भारतीय मुद्रा को अमान्य करने वालों पर एफआईआर तक दर्ज करने का प्रावधान है, लेकिन बाजार में पांच के नोट का लेन-देन स्वत: ही बंद हो गया है। जबकि पड़ोसी राज्य राजस्थान में पांच के नोट का लेन-देन जारी है। पहले दस और बीस के नोट के साथ शादियों में पांच के नोट की गड्डी का भी उपयोग किया जाता था, लेकिन अब जहां दस और बीस के नोटों की किल्लत शुरू हो गई है। वहीं पांच के नोट उपयोग में ही नहीं आ रहे।
सिक्के देते जेब को तनाव…
नोट की जगह बाजार में दस और बीस के सिक्कों ने बना ली है। लेकिन यह परेशानी का सबब ग्राहक और व्यापारियों दोनों के लिए बन रहा है। दुकानदारों की समस्या यह है कि बड़ी संख्या में सिक्के बैंक नहीं ले रही। इसका कारण है कि स्टॉफ की कमी के कारण सिक्कों को गिनना बैंकों के लिए तनाव वाला काम बन रहा है। इधर नोट जेब में आसानी से रखे जा सकते हैं, लेकिन सौ रुपए के सिक्के जेब में रखना मुश्किल है। इसके अलावा शादियों में भी कई जगहों पर उपयोग होने वाले दस और बीस के नोट की जगह सिक्के नहीं ले पा रहे।




