Wednesday, March 12, 2025
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ICC CHAMPIONS TROPHY INDIA WILL WIN? भारत की जीत के लिए यज्ञ और हवन, अंधविश्वास या जुनून?

नई दिल्ली: क्रिकेट के दीवाने भारत में मैच से पहले स्टेडियम ही नहीं, बल्कि मंदिर, घर और पूजा स्थल भी गर्मा जाते हैं। ऐसा ही कुछ आज ICC चैंपियंस ट्रॉफी ICC CHAMPIONS TROPHY INDIA 2025 में भारत बनाम न्यूजीलैंड मुकाबले से पहले देखने को मिला। फैंस ने टीम इंडिया की जीत सुनिश्चित करने के लिए बाकायदा यज्ञ और हवन का आयोजन किया। विराट कोहली, रोहित शर्मा और जसप्रीत बुमराह की तस्वीरें हाथ में लेकर मंत्रों का जाप किया गया।

यज्ञ से कप जीतेगा इंडिया?

क्रिकेट को भारत में धर्म से कम नहीं माना जाता। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यज्ञ, हवन और विशेष पूजा से सच में टीम इंडिया को जीत मिलेगी? सोशल मीडिया पर यह नजारा तेजी से वायरल हो रहा है, जहां कुछ लोग इसे आस्था बता रहे हैं, तो कुछ इसे अंधविश्वास का नाम दे रहे हैं।

क्रिकेट में आस्था या तंत्र विद्या?

हर बड़े टूर्नामेंट में भारत में यह ट्रेंड देखने को मिलता है। याद कीजिए 2011 वर्ल्ड कप, 2019 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल, 2023 वर्ल्ड कप फाइनल—इन सभी मौकों पर फैंस ने भगवान को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कुछ लोग मानते हैं कि यह सिर्फ एक विश्वास की बात है, जो खिलाड़ियों को मानसिक सपोर्ट देने का काम करता है। वहीं, कुछ लोगों को यह मजाकिया और अतार्किक लगता है।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

सोशल मीडिया पर इस अनोखे समर्थन को लेकर जबरदस्त चर्चा हो रही है। कुछ यूजर्स ने लिखा,
“अगर यज्ञ से वर्ल्ड कप जीत सकते, तो पाकिस्तान कभी चैंपियन नहीं बनता!”
वहीं, कुछ का कहना था,
“हमारे फैंस टीम से ज्यादा भगवान पर भरोसा रखते हैं।”

न्यूजीलैंड पर भारी पड़ेगा भारत?

हालांकि, असली खेल मैदान पर ही होगा। टीम इंडिया के पास मजबूत बल्लेबाजी लाइनअप और घातक गेंदबाजी अटैक है। न्यूजीलैंड को हराने के लिए रणनीति और प्रदर्शन जरूरी है, न कि सिर्फ हवन और मंत्रोच्चार। अब देखना यह होगा कि क्या टीम इंडिया अपने खेल से भी उतनी ही आस्था दिखाएगी, जितनी फैंस मंदिरों में दिखा रहे हैं।

क्रिकेट एक खेल है, और इसमें जीत-हार खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर निर्भर करती है। लेकिन भारत में क्रिकेट से जुड़ी भावनाएं अलग ही स्तर पर हैं। चाहे हवन हो या प्रार्थना, यह भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का खेल के प्रति जुनून ही है, जो इसे बाकी देशों से अलग बनाता है। अब देखना यह होगा कि क्या ये आस्था सच में रंग लाएगी या नहीं।

आपका क्या कहना है?

क्या आपको लगता है कि ऐसे अनुष्ठान सच में मदद कर सकते हैं, या यह सिर्फ एक दिलासा है? हमें कमेंट में बताएं!

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