बारिश के बाद आखिरकार सामान्य दिनों की तरह व्यापार व्यवसाय शुरु हो गया। जन जीवन पर पटरी पर आता हुआ नजर आया। चार दिन बाद गुरुवार को आखिरकार सूर्य देव के दर्शन हुए। सुबह मौसम साफ रहा और धूप खिल गई। इसके साथ ही जिलेभर में नदी-नालों का जलस्तर भी कम होने के बाद जिलेभर की पुल-पुलियाओं से बुधवार को फिर से आवागमन शुरू हो गया है।

चार दिनों तक जिलेभर में हुई झमाझम वर्षा से बुधवार को कुछ राहत मिली। हालंाकि रिमझिम वर्षा का दौर जारी रहा। कुछ क्षेत्रों में तेज वर्षा भी हुई। गुरुवार को मौसम साफ हो गया। धूप खिलने के साथ ही जन जीवन सामान्य हो गया। इधर, शिवना नदी के केचमेंट एरियों में भी वर्षा थमने के बाद नदी में पानी की आवक मंगलवार शाम को ही कम हो गई थी। इसके बाद कालाभाटा बांध के गेट भी बंद हो गये।  शिवना का जल स्तर कम होने से नदी की पुलियाओं से भी आवागमन शुरू हो गया। वहीं जिलेभर की अन्य नदियों व नालों उफान पर होने से मंगलवार को जिलेभर के करीब 15 मार्गो पर आवागमन बाधित हुआ था, देर शाम तक सभी मार्गो से नदी-नालों का पानी उतर गया, इसके बाद वाहनों का आवागमन शुरू हो गया।

कच्चे मकानों की दीवार गिरी, पटवारी ने किया सर्वे

गरोठ। अधिक वर्षा से नगर के कई वार्डों मे कच्चे मकानों की दीवारें गिर गई, जिससे इन मकानों में रहने वाले लोगों को नुकसान हुआ है। नगर परिषद अध्यक्ष राजेश सेठीया पटवाऱी मानसिंह राणावत के साथ सर्वे के लिये वार्डो में पहुंचे। पटवारी ने नुकसानी का मौका मुआयना कर पंचनामा रिपोर्ट तैयार की। 2017-18 से चल रही शहरी पीएम आवास योजना को पांच साल बीत जाने के बाद भी शहर में कई गरीब परिवारों के कच्चे मकान पक्के नहीं हो पाए है। अधिक वर्षा होने से कच्चे मकानों की दीवारें गिर गई।

फसलों को नुकसान

बारिश थम जरुर गई। लेकिन चार दिन की बारिश से फसलों को खासा नुकसान हुआ है। ं खेतों में भी जल भराव की स्थिति बनने से फसले प्रभावित हो हुई है। खेतों में पानी भरने से किसान खेत के अंदर नहीं जा सके। किसानो के साथ रोजमर्रा जीवन यापन करने वालों के लिए भी लगातार वर्षा से परेशानी बढ़ती जा रही है। कई  इलाकों में नदी नाले उफान पर है। खेतो मे पानी से फसले जममग्न हो गई है, किसानो के अनुसार खेतों में पानी भरने से सोयाबीन, उडद, मुंग, चवला, मूंगफली सहित अन्य फसले अत्यधिक प्रभावित हुई है। इसके कारण किसानों की चिंता बढ़ गई है।

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