
जनशक्ति का प्रवाह… एक-एक क़दम से बदल रहा शिवना का स्वरूप
मंदसौर। शिवना शुद्धिकरण अभियान रविवार को 72वें दिन भी पूरे उत्साह और जनसहभागिता के साथ जारी रहा। आज की मुहिम में नदी से एक ट्रॉली गाद और कचरा निकाला गया। अभियान में बड़ी संख्या में नागरिक, युवा, व्यापारी, महिलाएँ और स्वयंसेवी संगठन शामिल हुए। यह प्रयास अब केवल एक सफाई कार्यक्रम नहीं रहा, बल्कि मंदसौर की आस्था और अस्मिता को पुनर्जीवित करने का जनआंदोलन बन चुका है।
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करोड़ों की योजनाएँ – परिणाम शून्य, जनता ने थामी कमान
शिवना को लेकर वर्षों से सरकार और नगर पालिका स्तर पर कई योजनाएँ बनीं—
नालों के डायवर्जन के प्रस्ताव
शिवना कॉरिडोर के नाम पर हुए करोड़ों के खर्च
घाटों के सौंदर्यीकरण के अधूरे काम
लेकिन इन सबके बावजूद शिवना की दशा जस की तस रही।गंदे नालों का पानी नदी में गिरता रहा और शिवना आस्था के बजाय नाराज़गी का प्रतीक बनती गई।
यही कारण था कि जनता निराश होकर खुद मैदान में उतरी और “हमारी नदी–हमारी जिम्मेदारी” का संकल्प लिया।

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विपक्षी विधायक की पहल बनी मोड़
इस अभियान को गति देने में विपक्षी विधायक विपिन जैन की सक्रिय भागीदारी निर्णायक रही।उन्होंने न केवल स्वयं नदी में उतरकर सफाई की, बल्कि समाज के हर वर्ग को जोड़ा।उनकी अपील पर व्यापारी समाज, सामाजिक संस्थाएँ, महिलाएँ, विद्यार्थी और वरिष्ठ नागरिक बड़ी संख्या में जुड़ते जा रहे हैं।
जों आवाज़ें शिवना के लिए उठीं — अभिमत
🗨️ विपिन जैन, विधायक”शिवना हमारी आस्था है। उसे पुनर्जीवित करना हमारा दायित्व है, राजनीति से परे।”
🗨️ अनिल शर्मा, समाजसेवी”यह अभियान अब जनता की ताकत का प्रतीक है। प्रशासन निष्क्रिय रहा, जनता ने कमान संभाल ली।”
🗨️ सुषमा गुप्ता, नागरिक”हर रविवार पूरे परिवार के साथ आना हमारी दिनचर्या बन गई है। यह नदी हमारी विरासत है।”
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72 दिनों का सफ़र – जनशक्ति का इतिहास
हर रविवार सुबह से लेकर दोपहर तक अभियान जारी
अब तक कई ट्रॉलियाँ गाद, प्लास्टिक, थर्माकोल, कूड़ा, जलकुंभी हटाई जा चुकी
नदी किनारे की झाड़ियों और अवैध फेंके गए कचरे को भी हटाया गया
नगर के कई वार्डों से स्वयंसेवक जुड़ चुके हैं
बच्चे, महिलाएँ, वृद्ध सभी बराबर भागीदारी निभा रहे
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नुक्ता-ए-नज़र
यह अभियान सिर्फ सफाई नहीं—यह अव्यवस्था के खिलाफ नागरिकों का प्रतिरोध है।जहाँ व्यवस्था विफल हुई, वहाँ समाज ने रास्ता बनाया। 72 दिनों से लगातार चलता यह प्रयास बताता है कि आस्था और संकल्प जब मिलें, तो परिवर्तन निश्चित है।
🔻 यही निरंतरता ही भविष्य बदलेगी
शिवना को पूरी तरह स्वच्छ करने के लिए—
नालों का स्थायी डायवर्जन
वैज्ञानिक तरीके से गाद निकासी
प्रशासन की नियमित मॉनिटरिंग
नदी किनारों की कचरा-निरोध व्यवस्था
जरूरी है।
पर जनता ने यह साबित कर दिया है कि “अगर जनता उठ खड़ी हो, तो नदी भी मुस्कुराती है।”
समापन
रविवार का यह 72वाँ दिन मंदसौर की जागरूकता और जनभागीदारी का एक और मजबूत अध्याय जोड़ गया।अभियान अगले रविवार को फिर जारी रहेगा — और शिवना भी अपनी नई कहानी लिखती रहेगी।

खास बात….
शिवना अभी साफ दिख रही है… लेकिन असली चुनौती प्रवाह थमने के बाद शुरू होगी
फिलहाल शिवना में पानी का प्रवाह बना हुआ है, इसलिए नदी का स्वरूप साफ और संतुलित दिखाई दे रहा है।लेकिन यह साफ़-सफाई प्रवाह की वजह से भी है, हालांकि शिवना शुद्धिकरण का प्रयास अपनी जगह है लेकिनप्रवाह रुकेगा, तो वही पुरानी हालत फिर सामने आ सकती है:
शहर के कई गंदे नाले,
बरसों से अनियंत्रित सीवरेज निकासी,
खुले में बहता गंदा पानी,
प्लास्टिक, कूड़ा, जलकुंभी,
और बदबू की गंभीर स्थिति।
यही वे कारण हैं जिनसे शिवना “साफ” से अचानक “दुर्गंधित” हो जाती है।
यह सबसे बड़ा सवाल है और शिवना शुद्धिकरण के लिए लगी टीम को इस पर गहराई से सोचना पड़ रहा होगा।परिणाम स्थायी तभी होंगे जब
**प्रशासन, नगर पालिका और जनप्रतिनिधि अभी से कारगर कार्रवाई शुरू करें,नालों को रोकें, डायवर्जन करें, और सीवरेज प्रबंधन को दुरुस्त करें।**
जनता अपनी भूमिका निभा रही है, अब प्रणाली को भी जागना पड़ेगा —क्योंकि यह केवल सफाई का नहीं, शहर की प्रतिष्ठा और नदी के भविष्य का सवाल है।




