कोरोना काल, किसान आंदोलन और नकली शराब कांड—हर बड़े घटनाक्रम में निशाना बनी मल्हारगढ़ की शराब दुकानें, अब रतलाम-नीमच तक फैली लूट की चपेट।

मंदसौर | मल्हारगढ़ क्षेत्र की शराब दुकानों में बार-बार हुई लूट और तोड़फोड़ की घटनाएं प्रशासन और कानून व्यवस्था की पोल खोल रही हैं। कोरोना काल के दौरान जब लॉकडाउन जैसे कड़े प्रतिबंध लागू थे, तब भी शराब दुकान को लूटा गया। इसके बाद किसान आंदोलन में भी दुकानें सुरक्षित नहीं रहीं। वहीं नकली शराब कांड के समय भी मल्हारगढ़ की दुकान को निशाना बनाया गया।

यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। मंदसौर के अन्य हिस्सों और समीपवर्ती जिलों जैसे नीमच, रतलाम और झाबुआ में भी शराब दुकानों को लूट का शिकार बनना पड़ा है। हर घटना एक नए खतरे की घंटी है। शराब की दुकानों में तोड़फोड़ का यह आलम है कि बल्लम कहे जाने वाले गंगानगर कंपनी की दुकानें भी लुट चुकी है ।


सीएसपी कार्यालय और थाना स्टेशन रोड से महज 200 मीटर की दूरी पर स्थित इंग्लिश वाइन शॉप पर पांच नकाबपोश बदमाशों ने रॉड और पत्थरों से हमला कर दिया। सेल्समैन से मारपीट की गई, शराब की बोतलें और नकदी लूट ली गई। यह पूरी घटना दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।

21 दिसंबर 2024, रतलाम:

यह लूट सिर्फ एक क्राइम नहीं, बल्कि प्रशासन के लिए एक वेक-अप कॉल है। अगर थाना और पुलिस अधिकारियों के इतने नजदीक यह वारदात हो सकती है, तो फिर दूरस्थ ग्रामीण इलाकों की दुकानों की सुरक्षा की कल्पना की जा सकती है।

प्रमुख घटनाएं –

2020: कोरोना लॉकडाउन के दौरान शराब दुकान में लूट।

2021: किसान आंदोलन में दुकान में तोड़फोड़ व आगजनी।

2023: नकली शराब कांड के समय दुकान में लूट।

अन्य जिले –

नीमच: 2 दुकानों में तोड़फोड़ (2022)

रतलाम: शराब ठेके पर उपद्रव (2021)

झाबुआ: असामाजिक तत्वों द्वारा लूट की कोशिश (2023)

शराब व्यापारियों में भय – क्या सरकार सिर्फ टैक्स वसूलने तक सीमित है?

सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व देने वाला शराब व्यवसाय आज खुद को सबसे असुरक्षित महसूस कर रहा है। असामाजिक तत्वों के लिए शराब दुकानें आसान निशाना बन चुकी हैं, और प्रशासन सिर्फ घटनाओं के बाद खानापूर्ति करता है।

प्रश्न यह उठता है:


• क्या शराब दुकानों की सुरक्षा प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं?
• क्या राज्य सिर्फ टैक्स वसूलने तक सीमित रह गया है?
• क्या व्यापारियों की जान-माल की सुरक्षा से ज्यादा जरूरी राजनीतिक चुप्पी है?

प्रशासनिक लापरवाही: सुरक्षा के नाम पर सिर्फ दिखावा

⛔ अधिकतर शराब दुकानों में सीसीटीवी या तो है ही नहीं, या खराब पड़ा है
⛔ सुरक्षा गार्डों की तैनाती न के बराबर
⛔ पुलिस गश्त केवल कागजों पर

ऐसी घटनाओं ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

समाधान की ओर कदम – प्रशासन अब भी संभल सकता है

इन घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन को तुरंत निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

✅ हर दुकान पर हाई-रिज़ोल्यूशन CCTV कैमरे अनिवार्य किए जाएं
✅ प्रशिक्षित और हथियारबंद सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाएं
✅ संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस गश्त बढ़ाई जाए
✅ लूट जैसी घटनाओं पर NSA जैसे कठोर कानूनों के तहत कार्रवाई हो
✅ शराब दुकानें धार्मिक, शैक्षणिक और आवासीय क्षेत्रों से दूर संचालित हों – प्रशासन इसकी जांच करे

शराब दुकानों पर हमलों की बढ़ती घटनाएं सिर्फ एक व्यापारिक संकट नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था की विफलता का प्रतीक हैं। सरकार को चाहिए कि वह राजस्व अर्जित करने वाले इस सेक्टर की सुरक्षा को प्राथमिकता दे और असामाजिक तत्वों को सख्त संदेश दे — वरना ये घटनाएं न सिर्फ व्यापारिक माहौल को खराब करेंगी, बल्कि सरकार की साख को भी गहरे नुकसान पहुंचाएंगी।

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