
मंदसौर । मंदसौर की सीमाई धरती से उठी यह खनक अभूतपूर्व है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय पुलिस-रैंकिंग में मल्हारगढ़ थाना देश में 9वें स्थान पर आया है और इस सूची की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी भी थाने से न तो डेटा माँगा गया, न फॉर्म जमा हुआ, न कोई प्रस्तुति।
पूरा स्कोर CCTNS, अपराध रिकॉर्ड्स, IVRS फीडबैक और GPS रिस्पॉन्स से स्वतः-जनरेटेड था।
अर्थात् यह रैंक कोशिशों के प्रचार की नहीं, बल्कि सिस्टम द्वारा पकड़े गए ठोस प्रदर्शन की है जिसे मानवीय हस्तक्षेप छू भी नहीं सकता था।
70 पैरामीटर और कहीं भी ‘अपना हिसाब’ जोड़ने की गुंजाइश नहीं, राष्ट्रीय रैंकिंग का ढाँचा 70 तकनीकी पैमानों पर टिका था,
FIR टाइम-स्टैम्प
CCTNS अपडेटिंग
GPS आधारित रिस्पॉन्स
गंभीर अपराधों की निस्तारण-दर
पीड़ित IVRS फीडबैक
स्टेशन मैनेजमेंट का डिजिटलीकरण
CCTV सपोर्ट-लॉग
इनमें किसी भी थाने को अपना पक्ष रखने या स्पष्टीकरण भेजने का मौका नहीं।
सर्वर जो देख रहा था—वही स्कोर बन रहा था।
मल्हारगढ़ के सिस्टम-जनरेटेड स्कोर के ‘हाई-पॉइंट्स’
गंभीर अपराधों का 85% से अधिक निस्तारण
रिस्पॉन्स टाइम का गाँव–कस्बा दोनों में लगातार स्थिर रहना
FIR की Same-Day Entry
CCTNS की डेली अपडेटिंग
IVRS संतुष्टि में 89% ‘Resolved’
CCTV आधारित सॉल्विंग रेट: 38%
हर पैरामीटर सर्वर की टाइम-स्टैम्पिंग से निकला
इसलिए न कुछ छुपा, न कुछ सजाया जा सकता था।

दिल्ली–मुंबई जैसे महानगर VS मल्हारगढ़ (राष्ट्रीय मानकों पर सामान्यीकृत डेटा)
- आकार व संसाधन
महानगर:
150–250 स्टाफ, हाई-टेक कंट्रोल रूम, फॉरेंसिक सपोर्ट, 3–5 लाख की आबादी।
मल्हारगढ़:
28–32 स्टाफ, सीमित वाहन/संसाधन, 55–60 हजार आबादी।
- शिकायत निस्तारण
महानगर: 85–88%
मल्हारगढ़: 92%
- गंभीर अपराध निस्तारण समय
दिल्ली: 48–72 घंटे
मुंबई: 36–54 घंटे
मल्हारगढ़: 34–38 घंटे
- GPS आधारित रिस्पॉन्स टाइम
दिल्ली: 12–18 मिनट
मुंबई: 10–16 मिनट
मल्हारगढ़: 9–12 मिनट
- CCTV सपोर्ट और केस-सॉल्विंग रेट
कवरेज कम—87%,
पर सॉल्विंग रेट 38%, अनेक महानगरीय थानों से ऊपर।
- टेक-इंटीग्रेशन
महानगर: फेस रिकग्निशन + रियल-टाइम कंट्रोल
मल्हारगढ़: 100% CCTNS अपडेटिंग + GPS रूट-लॉग + डिजिटल फाइलिंग
इस तुलना का सार यही है—
यह रैंक किसी “कागज़ी ताकत” पर नहीं टिकी।
महानगरों के पास संसाधन बहुत हैं।
मल्हारगढ़ के पास सीमित साधन, लेकिन अनुशासन, गति और स्कोर—सिस्टम स्वयं दर्ज कर रहा था।
महिला-संबंधित मामलों में मल्हारगढ़ का “Immediate Intake Model”
24×7 सक्रिय महिला हेल्पडेस्क
FIR/NC की उसी दिन—कई बार उसी घंटे—एंट्री
गंभीर मामलों की निस्तारण-टाइमलाइन 72 घंटे से घटकर 28–36 घंटे
IVRS संतुष्टि: 89%
छह महीनों में 74 प्रकरणों की काउंसलिंग + ऑन-स्पॉट डॉक्यूमेंटेशन
यह मॉडल किसी रिपोर्ट में नहीं,
सीधे CCTNS टाइम-स्टैम्प में दर्ज है।
राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रियाएँ
मुख्यमंत्री मोहन यादव
“मल्हारगढ़ का देश में 9वां स्थान, राज्य पुलिस की उल्लेखनीय उपलब्धि है।”
उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा
“यह उपलब्धि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधित्व और पुलिस टीम दोनों का सामूहिक परिणाम है।”
आलोचकों के लिए यह रैंकिंग एक ऐसा उत्तर है,
जिसमें न प्रचार की गुंजाइश है, न आंकड़ों की बाज़ीगरी,
सिर्फ़ कठोर, सर्वर-जनित सत्य।
सोलंकी–पंवार मॉडल: अनुशासन + निगरानी + जनसंपर्क
एसडीओपी नरेंद्र सोलंकी और टीआई राजेंद्र पंवार ने
स्पष्ट अपराध-नियंत्रण नीति, त्वरित कार्रवाई,
नियमित जनसंवाद और सख़्त रिकॉर्ड-कीपिंग को
एक स्थिर और भरोसेमंद थाने का ढाँचा बना दिया।
ज़िला स्तर पर SP विनोद कुमार मीणा की “ज़ीरो-पेंडेंसी” नीति
हर शिकायत की दैनिक मॉनिटरिंग
लंबित मामलों पर SHO से सीधी रिपोर्ट
48 घंटे में गंभीर अपराधों की समीक्षा
महिला मामलों में हैंड-टू-हैंड समाधान
बीट स्तर तक जवाबदेही
यह बैक-एंड संरचना ही वह मशीनरी है
जिसने मल्हारगढ़ के प्रदर्शन को
तेज़, स्थिर और मापने योग्य बनाया।
जब सन्नाटे में काम होता है, तो शोर अपने आप पीछे छूट जाता है,
आलोचना की ज़ुबानें हमेशा लंबी होती हैं,
पर प्रशंसा के हाथ अक्सर छोटे पड़ जाते हैं।
मल्हारगढ़ की यह उपलब्धि इसलिए और बड़ी है
क्योंकि इसे किसी प्रचार के सहारे नहीं,
बल्कि सिस्टम की आँखों ने दर्ज किया है।
यह खाकी की वह खनक है,
जो सीमाई ज़मीन से उठकर
देश की शीर्ष-10 सूची में गूँज रही है।



