मध्य प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को सौरभ शर्मा केस को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने सरकार पर आरोप लगाया कि असली गुनहगारों को बचाने की कोशिश की जा रही है। विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग की और मामले से जुड़ी डायरी सार्वजनिक करने की बात कही। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि उसके पास नेताओं के नाम वाली कोई डायरी नहीं मिली और सीबीआई जांच की आवश्यकता नहीं है।

सरकार का बयान: नेताओं के नाम वाली कोई डायरी नहीं मिली

सरकार का पक्ष है कि इस मामले की जांच के लिए लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू पूरी तरह सक्षम हैं और इसमें सीबीआई जांच की कोई जरूरत नहीं है। इस जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी और बाद में वॉकआउट कर दिया।

विपक्ष की मांग: सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच हो

विपक्ष ने सरकार से सौरभ शर्मा से मिली डायरी को सार्वजनिक करने की मांग की, जिसमें कथित रूप से बड़े नेताओं और अधिकारियों के नाम दर्ज होने की बात कही जा रही थी। विपक्ष ने परिवहन कमिश्नर पर कार्रवाई की मांग करते हुए इस केस की सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने का दबाव बनाया।

सरकार का जवाब: लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू ही जांच करेंगे

विपक्ष के आरोपों के जवाब में परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू इस मामले की जांच के लिए पर्याप्त हैं और सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सौरभ शर्मा के पास से कोई ऐसी डायरी नहीं मिली जिसमें बड़े अधिकारियों या नेताओं के नाम हों। सरकार के इस जवाब के बाद विपक्ष ने सदन में जोरदार नारेबाजी की और फिर वॉकआउट कर दिया।

क्या है सौरभ शर्मा केस?

मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के कांस्टेबल सौरभ शर्मा पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप थे। जांच के दौरान भोपाल के पास मेंडोरी में स्थित उसके ठिकाने से 52 किलो सोना बरामद हुआ था। इसके अलावा करोड़ों की अवैध संपत्ति का भी खुलासा हुआ। इस मामले में बड़े अधिकारियों और नेताओं के नाम सामने आने की अटकलों के कारण विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर बना हुआ है।

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