
मंदसौर के दलौदा में शनिवार शाम करीब 5 बजे मजेसरा–सोमली पुलिया के पास तेज रफ्तार डंपर ने एक दंपति को जोरदार टक्कर मार दी। हादसा इतना भीषण था कि पालिया निवासी गोपाल सिंह राजपूत की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पत्नी प्रेमकुमारी ने अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार लालाखेड़ा क्रेशर से चूरी भरकर तेज गति से आ रहा डंपर लहराते हुए आया और भावगढ़ की ओर जा रहे दंपति को टक्कर मार दी। टक्कर के बाद डंपर अनियंत्रित होकर सोमली नदी पर पलट गया, जिसमें चालक भी गंभीर रूप से घायल हो गया।
सूचना मिलते ही दलौदा पुलिस मौके पर पहुँची। मशक्कत के बाद डंपर से चालक और घायल महिला को बाहर निकाला गया तथा तीनों को अस्पताल पहुँचाया गया।
डेढ़ से दो घंटे जाम, ग्रामीणों का फूटा आक्रोश
हादसे के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया। करीब दो घंटे तक सोमली पुलिया पर जाम की स्थिति बनी रही। ग्रामीणों ने कहा कि भावगढ़–दलौदा रोड पर डंपरों की रफ्तार लगातार अनियंत्रित रहती है, कई बार शिकायतों के बाद भी स्पीड ब्रेकर नहीं बने,जिसके कारण दुर्घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं।
ग्रामीणों ने डंपर चालकों की गति नियंत्रित करने और पुलिया क्षेत्र में तत्काल स्पीड ब्रेकर लगाने की मांग की।
खेती-किसानी निपटाकर लौट रहे थे दंपति
जानकारी के अनुसार गोपाल सिंह अपनी पत्नी के साथ धंधोड़ा से खेती-किसानी का काम निपटाकर पालिया लौट रहे थे। इसी दौरान यह दुर्घटना हो गई। बताया जाता है कि गोपाल सिंह की तीन बेटियाँ हैं, जिनकी। शादी की तैयारियाँ चल रही थीं। माता–पिता की एक साथ हुई मृत्यु से पूरे गांव में शोक का माहौल है।
रसूख के डंपर ‘यमराज’ बनकर सड़कों पर दौड़ते हैं
क्षेत्र में रसूख वाले लोगों के डंपर बेखौफ यमराज बनकर सड़कों पर दौड़ते रहते हैं।
तेज रफ्तार, ओवरलोड और नियमों की खुली अनदेखी के कारण यह डंपर लगातार जानलेवा बनते जा रहे हैं।
अवैध उत्खनन का बड़ा हिस्सा भी इन्हीं वाहनों से होता है।
नियमों के विरुद्ध क्षमता से अधिक माल ढोने का सिलसिला जारी है, जिससे
सड़कों की हालत बदहाल,
पुल-पुलिया छलनी,
और दुर्घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
स्थानीय लोग लंबे समय से कड़ाई से निगरानी, स्पीड कंट्रोल और ओवरलोडिंग पर रोक की मांग कर रहे हैं।
हादसा सिर्फ़ रफ्तार का नहीं, बल्कि उस पर्देदारी का भी है जिसमें ये डंपर सालों से पल रहे हैं। ग्रामीणों का दर्द साफ़ है किसी अदृश्य ताकत की छतरी न होती तो इतने हादसों के बाद भी ये मौत के पहिए यूँ बेखौफ नहीं दौड़ते। अब बड़ा सवाल यही है कि यह नेटवर्क आखिर किसके तलघर में महफ़ूज़ है, और कार्रवाई कब उस दरवाज़े तक पहुँचेगी जहाँ से असली फ़ील्डिंग होती है।





