
आस्था और उल्लास भी, मेले में आने लगी रौनक
सालभर चलती आस्था, अब बच्चों और युवाओं की उमंग ने बढ़ाई मेला चमक
मंदसौर। भगवान पशुपतिनाथ का वार्षिक मेला इस बार श्रद्धा, परंपरा और उल्लास का संगम बन गया है। जहाँ एक ओर श्रद्धालु मंदिर परिसर में पत्थरों से अपने “सपनों का आशियाना” बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मेले में झूले और चकरी के शुरू होने से रौनक और भी बढ़ गई है।
मंदिर परिसर में हर वर्ष की तरह इस बार भी दर्शनार्थियों ने पत्थर चुन-चुनकर छोटे-छोटे घर बनाए। मान्यता है कि जो भक्त यहाँ आकर श्रद्धा से घर बनाते हैं, उन पर भगवान पशुपतिनाथ की विशेष कृपा होती है और उनके जीवन में स्थिरता व सुख की प्राप्ति होती है।
स्थानीय श्रद्धालुओं के अनुसार, यह परंपरा केवल मेले तक सीमित नहीं है — सालभर लोग यहाँ आकर प्रतीकात्मक घर बनाते हैं, जिससे यह परंपरा मंदसौर की आस्था और विश्वास का जीवंत प्रतीक बन गई है।
अब जब से झूले और चकरी चलने शुरू हुए हैं, मेले में चहल-पहल और उत्साह और बढ़ गया है। चार–पांच दिन के इंतज़ार के बाद जैसे ही झूले घूमे, बच्चों और युवाओं की खुशियाँ झूम उठीं।
बच्चों की टोलियों ने बताया कि वे बहुत खुश हैं — “हमने झूले झूले, नाव में बैठे और खूब आनंद लिया।”
सीतामऊ से आए मालवीय परिवार ने बताया कि वे पूरे परिवार सहित मेला देखने आए हैं। “सबने झूले का मज़ा लिया, नाव की सवारी की और खूब खरीदारी की,” उन्होंने मुस्कराते हुए कहा।
राजस्थान के अजमेर से आए झूला संचालक ने बताया कि “अब झूले शुरू हो गए हैं, बस पब्लिक का इंतज़ार है। जैसे-जैसे भीड़ बढ़ेगी, हमारा रोजगार भी चलेगा।”
भीड़, रोशनी, मंदिर की आरती और बच्चों की हँसी के बीच मंदसौर का यह मेला अब धीरे धीरे रूप में जीवन्त हो रहा है, जहाँ एक ओर आस्था की परंपरा है, वहीं दूसरी ओर आनंद का उत्सव भी है।




