मंदसौर में भी रोजाना दस हो रहे शिकार, जिम्मेदार बेपरवाह

मंदसौर। नीमच में घर के बाहर खेल रहे चार साल के मासूम को तीन चार कुत्तों ने हमला कर दिया। नीमच के केंट थाना क्षेत्र में बुधवार दोपहर को अपने घर के बाहर खेल रही एक 4 साल की मासूम पर तीन से चार स्ट्रीट डॉग्स ने हमला कर दिया। बच्ची के चिल्लाने पर आसपास के लोगों ने उसे छुड़ाया और तत्काल जिला अस्पताल पहुंचाया। मासूम के मुंह पर करीब 10 टांके आए है। इधर बात करें मंदसौर की तो कुत्तों के हमले से मौत भी हो चुकी है। इसके अलावा रोजाना औसत दस लोगों को कुत्ते शिकार बना रहे हैं। इसके बाद भी जिम्मेदारों की नींद नहीं खुल रही।बच्ची को आंगन से खींचकर बाहर ले गए।
नीमच के वार्ड क्रमांक 18 स्थित शालीमार कॉलोनी निवासी फिरोजा ने बताया की उनकी बेटी अलशिफा (4) बुधवार दोपहर को मैगी खाने के बाद आंगन में खेल रही थी। इस दौरान तीन से चार आवारा कुत्तों ने अचानक उसपर पर जानलेवा हमला कर दिया। कुत्ते उस पर टूट पड़े और उसे आंगन से खींचकर बाहर ले गए।चेहरे और आंख के पास गहरे जख्म, 10 टांके आए

कुत्तों के झुंड ने बच्ची को बुरी तरह नोच डाला। आसपास के लोगों ने शोर मचाकर किसी तरह बच्ची को छुड़ाया और तत्काल जिला अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची के चेहरे और आंख के पास गहरे जख्म हैं। उसके मुंह पर करीब 10 टांके लगाए गए हैं। फिलहाल वह जिला अस्पताल के वार्ड में भर्ती है और इलाज जारी है।मंदसौर में भी हालात खराबमंदसौर जिला अस्पताल में रोजाना औसतन 8 से 10 मरीज डॉग बाइट के आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड का मौसम कुत्तों के लिए ब्रीडिंग सीजन होता है, जिसमें उनका व्यवहार आक्रामक हो जाता है। इस वजह से उन्हें हाइपर एक्टिव सीजन भी कहा जाता है। इधर, कुत्तों की नसबंदी का काम लंबे समय से ठप पड़ा है। नगर पालिका ने पिछले तीन महीनों में तीन बार टेंडर निकाले लेकिन एक भी कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। अधिकारियों का कहना है कि अबनवंबर में 101 बने शिकारमंगलवार को जिला अस्पताल में डॉग बाइट से पीड़ित 5 मरीज पहुंचे जबकि सोमवार को 22 मरीजों ने इलाज करवाया। नवंबर में अब तक 101 मरीज दर्ज हो चुके हैं। दिसंबर, जनवरी और फरवरी में इन मामलों में और तेजी आती है। एपेडेमियोलॉजिस्ट डॉ. शुभम सिलावट के अनुसार ठंड में मादा कुत्तों का सुरक्षात्मक स्वभाव बढ़ जाता है क्योंकि इसी दौरान उनके बच्चे जन्म लेते हैं। कोई अनजान व्यक्ति आसपास जाता है तो वे हमला कर देते हैं। साथ ही जब पिल्ले चलना सीखते हैं और सड़कों पर आने लगते हैं, तो कई बार हादसे हो जाते हैं। ऐसे में कुत्तों में मनोवैज्ञानिक अस्थिरता (साइकोलॉजिकल डिस्टरबेंस) बढ़ जाता है। वे लोगों पर झपटने लगते हैं।




