
ईंट भट्टों से निकलते जहरीले धुएं ने कॉलोनीवासियों की सांसें रोक दी

सीतामऊ। नगर की कोटेश्वर कॉलोनी के पास संचालित हो रहे ईंट भट्टों के धुएं ने कॉलोनीवासियों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। बालमुकुंद बिलोदिया, ईश्वर लाल सागवालिया, सुरेश कुमार, नंदलाल भंभोरिया, रोड़ीलाल केरवा, रामनिवास गोपाल, गोपाल हरगौड समेत कई निवासियों ने कहा कि जहरीले धुएं के कारण उन्हें और उनके बच्चों को लगातार स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो रही हैं।
कॉलोनीवासियों का आरोप है कि कुछ ईंट भट्टे उनके मकानों के सटे हुए हैं, जबकि कुछ राजस्व की जमीन पर अतिक्रमण करके संचालित किए जा रहे हैं।
निवासियों की पीड़ा:
बालमुकुंद बिलोदिया और नंदलाल भंभोरिया ने कहा, “जब हवा हमारे घर की तरफ आती है तो घर में दम घुटने लगता है। ठंड में भी दरवाजा खोलकर धुआं बाहर निकालना पड़ता है।”
मनोज भंभोरिया ने बताया, “मेरे पिताजी ने कई बार लिखित शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इस वजह से उन्हें अस्थमा हुआ और उनकी मृत्यु हो गई।”
कानूनी उल्लंघन:
नागरिकों के अनुसार, कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि ईंट भट्टे आबादी क्षेत्र से कम से कम 5 किलोमीटर दूर होने चाहिए, लेकिन यहां ये कॉलोनी के पास ही संचालित हो रहे हैं।
ईंट भट्टे संचालकों की प्रतिक्रिया:
संचालकों का कहना है, “हमने ऊपर तक सेटिंग बैठा रखी है, हमारी कितनी भी शिकायत कर दो, कुछ भी नहीं बिगड़ेगा।”
पूर्व में ईंट भट्टों को कयामपुर रोड, जोगन तराई में स्थानांतरित किया गया था, लेकिन धीरे-धीरे ये फिर से आबादी के पास आ गए।
प्रशासन की चेतावनी:
शिवानी गर्ग, अनुविभागीय अधिकारी सीतामऊ ने कहा:
“बस्ती के पास ईंट भट्टे संचालित नहीं हो सकते। आबादी क्षेत्र से 5 किलोमीटर के भीतर संचालन की अनुमति नहीं है।” “यदि निजी भूमि में भट्टे संचालित हैं तो उन्हें नोटिस देकर हटवाया जाएगा।”
“शासकीय जमीन पर अतिक्रमण होने पर पटवारी भेजकर पंचनामा बनवाकर विधिवत कार्रवाई की जाएगी और भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा।”
नागरिकों की मांग: कॉलोनीवासियों का कहना है कि प्रशासन कड़ाई से कार्रवाई करे, ताकि उनके स्वास्थ्य और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।





