Thursday, March 13, 2025
Homeधर्मउदयपुर की अनोखी गन होली: जब बारूद और तोपों से खेली जाती...

उदयपुर की अनोखी गन होली: जब बारूद और तोपों से खेली जाती है होली: Udaipur Gun holi a 400 year old tradition

गन होली

होली का त्यौहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन राजस्थान के उदयपुर जिले के मेनार गांव की होली बाकी जगहों से बिल्कुल अलग और अनोखी होती है। यहां रंगों से नहीं, बल्कि बंदूकों, तोपों और तलवारों के साथ गन होली (Gun Holi) मनाई जाती है। यह परंपरा करीब 400 साल पुरानी है और इसे धुलंडी के अगले दिन, यानी जमराबीज (Jamrabij) उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरा गांव युद्ध के मैदान जैसा नजर आता है, जहां तोपों की गर्जना और तलवारों की झनकार इस ऐतिहासिक उत्सव को बेहद खास बना देती है।


मेनार गांव की ऐतिहासिक गन होली

मेनार गांव की गन होली (Gun Holi) देशभर में अपनी विशिष्ट परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन गांव के लोग पारंपरिक मेवाड़ी वेशभूषा में सज-धजकर, ओंकारेश्वर चौक पर इकट्ठा होते हैं और तोपों और बंदूकों से गोलों की बौछार करते हैं। खास बात यह है कि इस अनोखी होली का आयोजन हर साल 15 मार्च को किया जाता है। इस दिन गांव के लोग अपने घरों में रखी पुरानी बंदूकों और तलवारों की साफ-सफाई करके उन्हें तैयार करते हैं। जैसे-जैसे रात बढ़ती है, वैसे-वैसे जोश और उत्साह चरम सीमा पर पहुंच जाता है।


400 साल पुरानी ऐतिहासिक परंपरा

मेनार गांव की गन होली की परंपरा की शुरुआत 400 साल पहले हुई थी, जब मेनारिया ब्राह्मणों ने मुगलों से युद्ध में जीत हासिल की थी। इतिहासकारों के अनुसार, उस समय मुगलों के अत्याचार से मेवाड़ के लोग परेशान थे। मेनारिया ब्राह्मणों ने चतुराई से मुगलों को गैर उत्सव में आमंत्रित किया और ढोल-नगाड़ों की थाप पर जोश में आकर युद्ध छेड़ दिया। इस संघर्ष में मेनारिया योद्धाओं ने मुगलों को परास्त कर अपने गांव को स्वतंत्र कराया। तभी से जमराबीज त्योहार को इस गौरवशाली विजय दिवस के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है।


कैसे मनाई जाती है मेनार की होली?

मेनार गांव में होली का जश्न पूरी रात चलता है। इस दिन गांव के बच्चे, बुजुर्ग और युवा सभी पारंपरिक पोशाकों में सजे-धजे उत्सव में शामिल होते हैं। बंदूकों की गूंज और तोपों के धमाकों के बीच पूरा गांव युद्ध के मैदान जैसा प्रतीत होता है। इस अनोखी होली में मेनारिया समाज के लोग पारंपरिक नृत्य (Traditional Dance) करते हैं और उत्साह से भरपूर होकर हर्षोल्लास के साथ जश्न मनाते हैं

इस उत्सव की लोकप्रियता इतनी अधिक है कि विदेशों में रहने वाले लोग भी इस दिन अपने गांव लौटकर होली मनाते हैं। यह राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने वाला पर्व है, जो मेनार गांव को पूरे देश में एक अलग पहचान दिलाता है।


conclusion

मेनार गांव की गन होली सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि वीरता, परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है। यह उत्सव न केवल राजस्थान की समृद्ध विरासत को दर्शाता है, बल्कि देशभर के पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। यदि आप भी होली के अनोखे रंगों का अनुभव करना चाहते हैं, तो मेनार गांव की गन होली आपके लिए एक शानदार अवसर हो सकता है!

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

You cannot copy content of this page