
क्षेत्र में नई उम्मीदें, कई सवाल भी**
सीतामऊ क्षेत्र से लगी चम्बल नदी पर आवरा–आवरी पुलिया निर्माण के लिए ₹262 करोड़ की स्वीकृति मिलते ही विधायक हरदीप सिंह डंग ने मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव तथा उप मुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा के प्रति आभार व्यक्त किया है। यह स्वीकृति लंबे समय से अटके इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को नई गति देने वाली मानी जा रही है।
स्वीकृति के तुरंत बाद सेतु विभाग के SDO प्रवीण नरवरे अपनी टीम के साथ स्थल पर पहुँचे और बोट से पूरे संभावित निर्माण क्षेत्र का निरीक्षण कर चुके हैं। इससे स्थानीय लोगों में यह विश्वास बढ़ा है कि अब यह पुलिया केवल कागज़ों में नहीं, ज़मीन पर उतरने की ओर बढ़ रही है।
पुल बनने से तैयार होगा नया रूट
पुलिया निर्माण के बाद सीतामऊ, बिशनिया, क्यामपुर, नाहरगढ़ से लेकर मंदसौर क्षेत्र के लोगों को चंदवासा (धर्मराजेश्वर), मेलखेड़ा, गरोठ और भानपुरा की ओर जाने के लिए एक नया और सुगम मार्ग मिलेगा।
यह मार्ग न सिर्फ समय और ईंधन की बचत करेगा, बल्कि चम्बल नदी के वे गाँव — जो आज तक विकास की रफ्तार से काफी पीछे छूटे थे — उनके लिए भी नए अवसरों के द्वार खोलेगा।
वर्तमान स्थिति:
जोखिम भरा आवागमन
इस क्षेत्र के लोग अभी भी स्टिंबर की सहायता से चम्बल पार कर चंदवासा–गरोठ–भानपुरा की यात्रा करते हैं, जो हर मौसम में अत्यंत जोखिम भरा बना रहता है। पुल बनने से यह खतरा पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
लेकिन सवाल भी उतने ही बड़े…
सरकारी घोषणा के साथ ही लोगों के मन में कई सवाल खड़े होना भी स्वाभाविक है,
सबसे बड़ा सवाल धतुरिया पुलिया को लेकर है, जो 2019 की बाढ़ में बहने के बाद आज तक नहीं बन सका।
टेंडर और ठेका होने के बावजूद धतुरिया पुल धरातल पर क्यों नहीं उतर सका?
क्या आवरा–आवरी पुलिया भी उसी तरह घोषणा, सर्वे और टेंडर के जाल में फँस कर रह जाएगी?
स्थानीय स्तर पर कुछ लोग इसे सरकार और नेताओं की “लॉलीपॉप राजनीति” भी बता रहे हैं, लेकिन वहीं बड़ी संख्या में लोग आशावान भी हैं कि यदि यह पुल बनकर तैयार हो जाता है तो क्षेत्र की किस्मत बदल देने वाला साबित होगा।
विधायक हरदीप सिंह डंग की पहल और सतत फॉलो-अप से यह प्रोजेक्ट फिर से सुर्खियों में आया है। अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या आवरा–आवरी पुलिया सचमुच धरातल पर उतरकर चम्बल किनारे बसे इलाकों की दशा और दिशा बदल पाएगी।




