
मंदसौर। नगर के केशव सत्संग भवन खानपुरा में चैतन्यानन्दगिरीजी महाराज साहब का दिव्य चातुर्मास चल रहा है। प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक संतश्री द्वारा देवी मंा भगवती महापुराण का वाचन किया जा रहा है।
धर्मसभा में चैतन्यानन्दगिरीजी महाराज साहब ने श्रीमद देवी भगवती महापुराण के चतुर्थ स्कंद का वाचन करते हुए बताया कि कश्यप ऋषि ने वरूणदेव से ली गाय को वापस नहीं लौटाने पर श्राप दिया था कि तुम्हारा जन्म गौपालक वंश में होगा। जिसके बाद कश्यप ऋषि का जन्म यदुवंश में वासुदेव के रूप में हुआ। काश्यन ऋषि की पत्नी रोहीणी का जन्म देवकी के रूप में हुआ। वासुदेव और देवकी का विवाह हुआ। उन्होने एक अच्छे राजा के रूप में राज पाट किया। लेकिन कंस ने आकाशवाणी के बाद देवकी और वासुदेव की संतानों को मारना शुरू कर दोनों को कारागृह में डाल दिया। जिसके बाद मां देवकी ने मां भगवती की आराधना की और सातवें संतान के रूप में बलराम और आठवें संतान के रूप में स्वयं मां भगवती प्रकट हुई जिसके बाद श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।