Wednesday, April 23, 2025
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लापरवाही से करोड़ों की चपत: बढ़ती लागत से जनता का नुकसान Government Negligence Costs Crores: Rising Construction Delays in Mandsaur

समय की देरी से निर्माण कार्यों पर बढ़ता खर्च

मंदसौर। सरकारी लापरवाही और उदासीनता के कारण जनता की गाढ़ी कमाई का करोड़ों रुपया बर्बाद हो रहा है। विकास और निर्माण कार्यों में देरी के चलते लागत लगातार बढ़ती जा रही है। कई महत्वपूर्ण योजनाएं वर्षों से अधूरी पड़ी हैं, जिससे उनकी अनुमानित लागत कई गुना बढ़ चुकी है

मल्हारगढ़ ओवर ब्रिज: 18 करोड़ से 33 करोड़ तक पहुंची लागत

वित्त मंत्री और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के क्षेत्र में बनने वाला मल्हारगढ़ फ्लाईओवर ब्रिज इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। 2018 में इसकी लागत मात्र 18 करोड़ थी, लेकिन 2025 तक यह बढ़कर 33 करोड़ हो चुकी है। सात साल की देरी के कारण सरकार को करोड़ों रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। यही हाल जिले की अन्य योजनाओं का भी है, जैसे:

  • नपा कॉलोनी कॉम्प्लेक्स
  • युवराज क्लब में निर्माण कार्य
  • मेघदूत नगर ऑडिटोरियम
  • तैलिया तालाब का सौंदर्यीकरण
  • शिवना शुद्धिकरण परियोजना

समय पर स्वीकृति मिलती तो नहीं बढ़ती लागत

विशेषज्ञों के अनुसार, मल्हारगढ़ फ्लाईओवर का प्रस्ताव 2018 में सेतु विकास विभाग द्वारा 20 करोड़ रुपये में तैयार किया गया था। बजट में पहले से शामिल होने के बावजूद, इसे स्वीकृति मिलने में सात साल लग गएयदि प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाती, तो लागत में इतनी बढ़ोतरी नहीं होती।

50 करोड़ से 66 करोड़ तक पहुंचा नपा कॉलोनी कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट

2012 में नपा कॉलोनी को कॉम्प्लेक्स में तब्दील करने की योजना बनी थी। समय पर काम शुरू नहीं होने के कारण, 50 करोड़ का प्रोजेक्ट अब 66 करोड़ तक पहुंच चुका है। डीपीआर अभी भी मंजूरी के इंतजार में है, जिससे लागत और बढ़ने की आशंका है।

बालागंज मिनी स्टेडियम: 23 साल बाद भी अधूरा

बालागंज स्कूल परिसर में मिनी स्टेडियम बनाने की योजना 2002 में बनी थी, लेकिन अब तक केवल बाउंड्रीवाल ही बनी है। इस परियोजना के तहत तीन बार निर्माण एजेंसी बदली जा चुकी है, लेकिन अब तक इसे पूरा नहीं किया गया। 2008 में कैबिनेट ने इसे नपा को सौंपा, जिसने 5.25 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा। लेकिन, 23 साल बाद भी इस प्रोजेक्ट पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है।

सरकारी देरी से जनता का बढ़ता नुकसान

अगर निर्माण कार्य समय पर पूरे किए जाएं, तो करोड़ों रुपये की बचत हो सकती है। लेकिन लापरवाही, मंजूरी में देरी और प्रशासनिक उदासीनता के कारण न केवल जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है, बल्कि विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। सरकार को इन मुद्दों पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचा जा सके।

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