माता-पिता के बाद गुरू की भूमिका श्रेष्ठ होती है
सरस्वती महाविद्यालय में उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित हुआ

मन्दसौर। सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय में डी.एल.एड. प्रथम वर्ष  का उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें  विषय विशेषज्ञ शास. उ.मा. विद्यालय बिलात्री के प्राचार्य जयेश नागर, शा.उ.मा.विद्यालय धंधोरा के प्राचार्य दिलीप कुमार सांखला, शास. नूतन उच्च माध्यमिक विद्यालय के अध्यापक अंशुल धनोतिया एवं शास. उ. मा. विद्यालय के शिक्षक आशीष बंसल ने  प्रवेशित प्रशिक्षणार्थियों का मार्गदर्शन किया। विशेषज्ञों का परिचय प्राचार्य डॉ निशा महाराणा ने दिया।  
इस अवसर पर प्राचार्य श्री नागर  ने कहा कि हमें स्वयं का सर्वांगीण विकास करना है, मातृ-पितृ के बाद यदि किसी की भूमिका श्रेष्ठ होती है  तो वो  गुरु की होती है। प्राचार्य श्री सांखला ने कहा कि जीवन के संघर्षों को सराहना चाहिए और प्रथम  गुरु व द्वितीय गुरु के कठोरतम व  सरल व्यवहार को पहचान कर इसको जीवन का लक्ष्य  बनाकर उन्नति प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।  शिक्षक श्री धनोतिया ने कहा कि हमें शिष्य रूपी वह पात्र बनना है जिससे गुरु का सारा ज्ञान प्राप्त कर सकें। शिक्षक श्री बंसल ने कहा कि एक शिक्षक को मनोविज्ञान की सहायता से विद्यार्थियों के अनुरूप अपने व्यवहार को परिवर्तित कर पाठ्यक्रम को सरलता  से समझाना है। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापिका श्रीमती निशा शर्मा ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त स्टॉफ व प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे।

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