
मध्य प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है और सरकार द्वारा ली जाने वाली प्रतियोगी परीक्षा फीस को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा में यह खुलासा किया कि कर्मचारी चयन मंडल (MPESB) द्वारा आयोजित परीक्षाओं की फीस, सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण Revenue Source बन चुकी है। इस रकम का उपयोग सरकार द्वारा प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना (Talented Student Incentive Scheme) के तहत छात्रों को Scooty और Laptop जैसे उपहार देने में किया जा रहा है।
बेरोजगारों की परेशानी और सरकार की योजना
हालांकि, इस योजना की वजह से बेरोजगार उम्मीदवारों को परेशानी हो रही है। वे महसूस कर रहे हैं कि उनकी मेहनत की कमाई से भरी गई परीक्षा फीस का उपयोग सरकार अपनी अन्य योजनाओं में कर रही है, जबकि उनकी नौकरी की समस्या जस की तस बनी हुई है।
बेरोजगारी और परीक्षा फीस की बढ़ती समस्या
बेरोजगार युवाओं का आरोप है कि वे कई वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं, लेकिन हर बार परीक्षा फीस देने के बावजूद नौकरी मिलने की कोई गारंटी नहीं है।
मऊगंज के 27 वर्षीय विपिन कुमार त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने पिछले चार सालों में 25 हजार रुपये सिर्फ परीक्षा फीस और यात्रा खर्च में खर्च किए हैं। वह किराए पर रहकर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने बेरोजगारों की परेशानियों का अब तक कोई ठोस हल नहीं निकाला है।
वन टाइम परीक्षा शुल्क योजना – एक अधूरा वादा
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी वादे के दौरान वन टाइम परीक्षा शुल्क (One Time Exam Fee) योजना लागू करने की घोषणा की थी। यह योजना ऐसी थी जिसमें उम्मीदवारों को बार-बार परीक्षा शुल्क नहीं भरना पड़ता, बल्कि एक बार की फीस से ही वे कई परीक्षाओं में भाग ले सकते थे।
लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे नकारते हुए कहा कि सरकार के पास ऐसी कोई योजना लागू करने का अभी कोई इरादा नहीं है।

सरकार का पक्ष – परीक्षा फीस और फंड ट्रांसफर का सच
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा में बताया कि कर्मचारी चयन मंडल (MPESB) को सरकार द्वारा जारी आदेश के तहत 160 करोड़ रुपये और 137 करोड़ रुपये की राशि प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना के तहत ट्रांसफर की गई।
है।
बेरोजगारी और परीक्षा फीस का विवाद कब होगा खत्म?
मध्य प्रदेश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है और परीक्षा फीस का भार उम्मीदवारों पर बढ़ रहा है। सरकार को चाहिए कि वह बेरोजगार युवाओं की इस समस्या पर ध्यान दे और ऐसी योजनाएं लागू करे, जो नौकरी पाने के अवसर को बढ़ाएं, न कि सिर्फ फीस वसूली का माध्यम बनें।