
मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र मंगलवार को छठे दिन में प्रवेश कर गया, जहां विभिन्न मुद्दों पर चर्चाएं और आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। इस दिन का सबसे बड़ा मुद्दा बिजली कटौती (Power Cut) रहा, जिस पर बीजेपी विधायकों (BJP MLAs) ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyumn Singh Tomar) को घेरा। भिंड के विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा (MLA Narendra Singh Kushwaha) ने बिजली विभाग के अधिकारियों पर गंभीर भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोप लगाए।
जब बीजेपी के अपनों ने ही बीजेपी को घेरा!
मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में बीजेपी को अपने ही विधायकों के विरोध का सामना करना पड़ा। बिजली कटौती, भ्रष्टाचार और विभागीय अनियमितताओं को लेकर बीजेपी के विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा और रामेश्वर शर्मा ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए।
भिंड विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा ने आरोप लगाया कि बिजली विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। उन्होंने कहा कि ट्रांसफार्मर लगाने के लिए उन्होंने अपनी विधायक निधि से 1 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन अब तक पूरा काम नहीं हुआ। इसके जवाब में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सफाई दी, लेकिन बीजेपी विधायक इससे संतुष्ट नहीं हुए और भड़क गए।
वहीं, बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने नगरीय प्रशासन विभाग पर हमला बोलते हुए कहा कि शहर की यातायात व्यवस्था बदहाल है और सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही। उन्होंने मांग की कि नई ई-बसों को उन इलाकों में चलाया जाए जहां अभी तक बसें नहीं पहुंची हैं।
बीजेपी विधायकों के इन बयानों को विपक्ष का भी समर्थन मिला। कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि जब बीजेपी विधायक ही अपनी सरकार से नाराज हैं, तो विपक्ष की आवाज को भी अनसुना नहीं किया जा सकता।
क्या बीजेपी अपनी ही पार्टी के विधायकों की इन मांगों को पूरा करेगी? या फिर ये नाराजगी आने वाले चुनावों में बड़ी चुनौती बन जाएगी?
विधायक निधि के बावजूद नहीं लगाए गए ट्रांसफार्मर
भिंड विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा (Bhind MLA Narendra Singh Kushwaha) ने कहा कि भिंड शहर में दो साल पहले ट्रांसफार्मर लगाने की मंजूरी दी गई थी। इसके लिए विभागीय बजट (Budget) के अलावा, उन्होंने अपनी विधायक निधि (MLA Fund) से भी ₹1 करोड़ की राशि बिजली कंपनी को दी थी, लेकिन कंपनी के एमडी प्रदीप कुमार जैन (MD Pradeep Kumar Jain) ने जनता को गुमराह किया और ट्रांसफार्मर अब तक नहीं लगाए।
इस पर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyumn Singh Tomar) ने सफाई दी कि कोई बिजली कटौती नहीं हो रही और 70 में से 40 ट्रांसफार्मर लगाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2025 तक पूरा काम पूरा कर लिया जाएगा। इस जवाब से बीजेपी विधायक भड़क गए (BJP MLAs Angry) और मंत्री पर भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाया।
बीजेपी और विपक्ष दोनों ने किया समर्थन
विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा के आरोपों का समर्थन नागदा-खाचरोद विधायक तेजबहादुर सिंह (Nagda-Khachrod MLA Tejbahadur Singh) ने भी किया। उन्होंने कहा कि बिजली कटौती की समस्या गंभीर है, लेकिन अधिकारी गलत जानकारी देकर जनता को गुमराह कर रहे हैं।
बीजेपी विधायकों द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाई गई मांगों को कांग्रेस विधायकों (Congress MLAs) ने भी समर्थन दिया। नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) ने कहा कि सरकार उनकी नहीं सुन रही तो बीजेपी विधायकों की बात ही मान ले। उन्होंने सवाल उठाया कि जब आरोपों के साथ सबूत मौजूद हैं, तो ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को सस्पेंड करने में क्या परेशानी है?
बीजेपी विधायक सरकार से नाराज
बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा (BJP MLA Rameshwar Sharma) ने भी अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने नगरीय प्रशासन विभाग (Urban Administration Department) पर सवाल उठाते हुए शहर में खराब यातायात व्यवस्था (Traffic Issues) पर सरकार को घेरा। उन्होंने मांग की कि नई ई-बसों (E-Buses) को उन इलाकों में चलाया जाए, जहां अभी तक बसों की सुविधा नहीं है। इस पर नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय (Urban Development Minister Kailash Vijayvargiya) ने उनकी मांगों पर ध्यान देने का आश्वासन दिया।
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और उमंग सिंघार के बीच आरोप-प्रत्यारोप
सदन के बाहर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (Minister Govind Singh Rajput) और विपक्षी नेता उमंग सिंघार (Opposition Leader Umang Singhar) के बीच भ्रष्टाचार (Corruption) के गंभीर आरोपों को लेकर बहस छिड़ गई।
गोविंद सिंह राजपूत ने उमंग सिंघार पर 20 करोड़ रुपये के मानहानि नोटिस (Defamation Notice) भेजने का दावा किया। उन्होंने कहा कि सिंघार भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और एक महंगी डिफेंडर गाड़ी (Expensive Defender Car) में घूम रहे हैं, जबकि उनकी संपत्ति संदिग्ध है।
इस पर उमंग सिंघार ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी हर भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी है। उन्होंने कहा कि यदि मंत्री अपनी संपत्ति गलत तरीके से बढ़ा रहे हैं, तो कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी और उनका विरोध करेगी।

कैग रिपोर्ट में हुआ बड़े घोटाले का खुलासा
मध्यप्रदेश विधानसभा में सोमवार को पेश की गई कैग रिपोर्ट 2022 (CAG Report 2022) ने कई सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार (Corruption in Government Schemes) और गड़बड़ियों का खुलासा किया।
कैग रिपोर्ट में उजागर हुए घोटाले:
🔹 मनरेगा घोटाला (MNREGA Scam) – ₹85.67 लाख ऐसे खातों में ट्रांसफर हुए, जिनका जॉब कार्ड से कोई संबंध नहीं था।
🔹 नल जल योजना (Nal Jal Yojana Scam) – 14 नगरीय निकायों में 34.07% घरों में अब तक नल कनेक्शन नहीं।
🔹 सरकारी जमीन आवंटन घोटाला (Land Allocation Scam) – नियम विरुद्ध जमीन आवंटन से ₹65.5 करोड़ का नुकसान।
🔹 विवाह सहायता योजना (Marriage Assistance Scam) – 86 मामलों में बिना पंजीकृत श्रमिकों के ₹38.92 लाख खातों में ट्रांसफर।
🔹 आपदा राहत घोटाला (Disaster Relief Scam) – 142 मामलों में ₹1.68 करोड़ अपात्र खातों में भेजे गए।
कैग रिपोर्ट के इन खुलासों के बाद विपक्ष ने राज्य को भ्रष्टाचार का गढ़ (Hub of Corruption) करार दिया और सदन में जोरदार हंगामा (Protest in Assembly) किया।