आरोप था कि तुलसीराम पाटीदार, अनिल शर्मा, ईश्वरलाल धाकड़, अमृतराम पाटीदार, गोविंद शर्मा, रामलाल मालवीय, मदन चौहान और इनके अन्य साथी शासन के खिलाफ उत्तेजक, भाषणबाजी और नारेबाजी की व 4-5 पुतलों पर ज्वलनशील पदार्थ पेट्रोल डालकर पुतलों को पुलिस की तरफ फेंका। जिसमें एसएएफ जवान आरक्षक मनीष जोशी आग से झुलस गया।उसके चेहरे, गाल, नाक, हाथ सहित शरीर का दाहिना हिस्सा जल गया। पुलिस ने सभी नेताओं के खिलाफ मुकदमा कायम कर आरोपियों को गिरफ्तार कर अभियोग पत्र न्यायालय में दाखिल किया। न्यायालय में आरोपियों की ओर से अधिवक्ता एम सय्यद मंसूरी ने गवाहों से जिरह की और बहस करते हुए आरोपियों की तरफ से बचाव लिया कि आरोपी विपक्षी कांग्रेस पार्टी के नेता है और जनप्रतिनिधि रहे है, लोकतंत्र में सबको विरोध प्रदर्शन का अधिकार है, ये लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन वहां किन्हीं असामाजिक तत्वों ने ऐसे गलत कृत्य किए, लेकिन पुलिस ने उनको पकडऩे के बजाए भाजपा के उच्च नेताओं के इशारों पर विपक्ष की आवाज दबाने के लिए कांग्रेस के मजबूत नेताओं पर झूठा मामला बनाकर इन्हें गिरफ्तार कर लिया। न्यायालय ने अधिवक्ता मंसूरी के तर्कों से सहमत होकर सभी आरोपी कांग्रेस नेताओं को दोषमुक्त किया।

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