Wednesday, February 12, 2025
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भोपाल: मध्यप्रदेश में नाम बदलने की सियासत का जोर Rising Name Change Politics

मध्यप्रदेश में इन दिनों नाम बदलने की सियासत तेज हो गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शाजापुर जिले के दौरे के दौरान मंच से ही 11 गांवों के नाम बदलने का ऐलान किया। इससे पहले भी उन्होंने उज्जैन जिले के तीन गांवों के नाम बदले थे। यह कदम राज्य में पहले से चल रही नाम बदलने की राजनीति का हिस्सा है, और अब यह पूरे राज्य में फैलता जा रहा है।

क्या नाम बदलने से प्रदेश के मुद्दे हल होंगे?

यह सवाल अब उठने लगा है कि क्या सरकार को नाम बदलने जैसे मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए, जबकि प्रदेश में बेरोज़गारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून-व्यवस्था जैसे गंभीर मुद्दे भी मौजूद हैं। हाल ही में प्रदेश में अपराधियों के एनकाउंटर हो रहे हैं, बुलडोजर चलाए जा रहे हैं और अन्य जरूरी मुद्दे दरकिनार हो रहे हैं। ऐसे में क्या नाम बदलने की सियासत सचमुच प्रदेश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, या फिर यह एक राजनीतिक खेल बनकर रह गया है?

सीएम का नाम बदलने का तर्क

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि सरकार उन स्थानों के नाम बदलने का काम करेगी जिनके नाम बोलने या लिखने में कठिनाई होती है। उनके अनुसार, जब किसी स्थान का नाम सही से नहीं बोला जा सकता, तो सरकार उसे बदलने का काम करेगी। इसी विचार के तहत उन्होंने उज्जैन जिले के तीन गांवों के नाम बदले थे और अब शाजापुर जिले के 11 गांवों के नाम बदलने का ऐलान किया।

नाम बदलने के बाद इन गांवों के नाम

  1. गजनीखेड़ी (बड़नगर) → चामुंडा माता नगर
  2. मौलाना गांव → विक्रम नगर
  3. जहांगीरपुर → जगदीशपुर
  4. कालापीपल का मोहम्मदपुर मछनाई → मोहनपुर (शाजापुर)

इसके अलावा, इन गांवों को जोड़ने वाली 15 सड़कों के नाम भी बदले गए हैं। कालापीपल को अब राजस्व अनुविभाग के रूप में विकसित किया जाएगा और यहां पोलायकलां में जिले की मुख्य मंडी भी बनाई जाएगी।

कई और जगहों पर नाम बदलने की मांग

राज्य में नाम बदलने की मांग अब कई और स्थानों पर भी उठने लगी है। इन स्थानों में प्रमुख रूप से भोपाल, रायसेन, उज्जैन, विदिशा, सीहोर और मंदसौर शामिल हैं। खासकर भोपाल में कई स्थानों के नाम बदलने की मांग उठ रही है।

भोपाल में नाम बदलने की प्रमुख मांगें

  1. जहांगीराबाद
  2. शाहजहांनाबाद
  3. नजीराबाद
  4. मुबारकपुर
  5. हबीबगंज
  6. आदमपुर छावनी
  7. पिपलिया बाजखां

इन स्थानों के नाम बदलने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है, और यह राजनीतिक बहस का अहम हिस्सा बन चुका है।

इंदौर में भी नाम बदलने की मांग

इंदौर में भी नाम बदलने की सियासत पुरानी है। अब इंदौर 3 के बीजेपी विधायक गोलू शुक्ला(golu shukla) ने महापौर को चिट्ठी लिखकर अपनी विधानसभा क्षेत्र के पांच मोहल्लों और कॉलोनियों के नाम बदलने की मांग की है। हालांकि, इंदौर में कुछ स्थानों के नाम पहले भी बदले गए थे, जैसे राजेंद्र नगर रेलवे ओवर ब्रिज का नाम प्रतीक सेतु रखा गया था, लेकिन वह अभी भी राजेंद्र नगर ब्रिज के नाम से ही पहचाना जाता है।

बागेश्वर धाम विवाद

दूसरी ओर, छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वर धाम के पास रेलवे स्टेशन के नाम को लेकर विवाद बढ़ गया है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि दुरियागंज का नाम बदलकर बागेश्वर धाम रेलवे स्टेशन किया जाए, क्योंकि इस्लामिक नाम को लेकर विरोध जताया जा रहा है।

उज्जैन में महाकाल मंदिर क्षेत्र के नाम बदलने की मांग

उज्जैन के सांसद और महाकाल मंदिर के पुजारी-पुrohित भी महाकाल मंदिर से जुड़े क्षेत्रों के नाम बदलने की मांग कर रहे हैं। इनमें बेगम बाग, अंडा गली और तोपखाना जैसे नामों को बदलने की मांग की जा रही है।

क्या यह केवल राजनीतिक खेल है?

नाम बदलने की राजनीति का गढ़ उत्तरप्रदेश को माना जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा शहरों के नाम बदले गए हैं। 2022 तक के केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा शहरों के नाम बदले गए थे। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या यह एक राजनीतिक साजिश है, या फिर सरकार वाकई इन नामों के बदलने को जरूरी मानती है?

पहले के कुछ उदाहरण

शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में भी कई स्थानों के नाम बदले गए थे, जैसे:

  1. बिरसिंहपुर पाली → मां बिरासिनी धाम
  2. होशंगाबाद → नर्मदापुरम
  3. बाबई → माखननगर
  4. नसरुल्लागंज (सीहोर) → भैरूंदा
  5. हबीबगंज रेलवे स्टेशन → रानी कमलापति रेलवे स्टेशन
  6. मिंटो हॉल (भोपाल) → कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर
  7. डुमना एयरपोर्ट (जबलपुर) → रानी दुर्गावती एयरपोर्ट

क्या यह समय की जरूरत है?

इन सब सवालों के बीच, यह सवाल बना हुआ है कि क्या राज्य सरकार को वास्तव में प्रदेश की मौजूदा समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, या फिर नाम बदलने की राजनीति में ही उलझकर रह जाना चाहिए।

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