
मंदसौर। नगर के केशव सत्संग भवन खानपुरा में चैतन्यानन्दगिरीजी महाराज साहब का दिव्य चातुर्मास चल रहा है। प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक संतश्री द्वारा देवी मंा भगवती महापुराण का वाचन किया जा रहा है।
6 सितम्बर मंगलवार को धर्मसभा में चैतन्यानन्दगिरीजी महाराज साहब ने देवताओं की पूजन विधि के बारे में बताया कि भगवान की पूजा करते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखन चाहिए हमें स्वयं भी स्वच्छ रहना चाहिए एवं भगवान जिस पर पाट पर विराजित करें वह और उस पर बिछाने का वस्त्र पर स्वच्छ होना चाहिए। आपने बताया कि भगवान हो सकें तो तील के तेल का दीपक लगाना चाहिए, अगरबत्ती के स्थान पर गूगल जलाना चाहिए घर, दुकान में गूगल का धुंआ करना चाहिए।
स्वामी जी ने बताया कि शास्त्र के अनुसार भगवान विष्णु को चावल, भगवान गणेश को तुलसी पत्र, मां भगवती को दुर्वा और भगवान शिव को केतकी पुष्प अर्पित नहीं करना चाहिए। मां भगवती की पूजा अर्चना करते समय मां का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। आपने बताया कि पूजा अर्चना करते समय चित्त शांत और प्रार्थना मे प्रेम व भक्ति होना चाहिए। मां भगवती पुराण के अनुसार देवी मां का गन्ने के रस से अभिषेक करने का भी विधान है। पूजा अर्चना करने के बाद भगवान को नैवेद्य का भोग लगाकर कीर्तिन आदि करना चाहिए।
धर्मसभा में आपने बताया कि एक दिन में मां भगवती के तीन स्वरूप होते है। सुबह मां शिशु अवस्था में, दोपहर में युवा अवस्था मंे और शाम को मां वृद्धा अवस्था में होती है तीनों समय में मां की पूजा का अलग – अलग विधान होते है। आपने बताया कि पूजा के समय देवी की एक परिक्रमा, सूर्य की सात, गणेश की तीन, भगवान विष्णु की चार, शिवजी की आधी परिक्रमा का विधान है। आपने बताया कि भगवान में मन लगना सबसे बडा चमत्कार है। धर्मसभा में स्वामी जी ने अन्नपूर्णा की महिमा के बारे में भी बताया।
धर्मसभा में जगदीशचंद्र सेठिया, जगदीश गर्ग, पं शिवनारायण शर्मा, मदनलाल यति, दिनेश द्विवेदी, जगदम्किाप्रसाद दूबे, आर सी पांडे, मोहनलाल गायरी, राजेन्द्र जोशी अमलावद, मदनलाल गेहलोत आदि उपस्थित थे।