अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस 1 अक्टूबर विशेष-
बूढ़ा या वृद्ध  नहीं वरिष्ठजन कहें
‘वृद्धावस्था’ नाम ही अपने आप में एक स्थिति की ओर इंगित करता है। संधि विच्छेद करें तो वृद्ध + अवस्था = वृद्धावस्था होता है। इस प्रकार वृद्ध एक व्यवस्था पर यहां यदि हम बात करें तो पहले वृद्ध को ही लें
जीवनकाल की चार अवस्था में बचपन, जवानी, प्रौढ़ के बाद वृद्ध का नम्बर आता है और यदि जीवन काल को 100 वर्ष मानकर चलें तो वृद्ध 75 वर्ष बाद की अवस्था को माना जाता है।
75 वर्ष बाद वाला व्यक्ति सही मायनें में वृद्ध हो सकता है, लेकिन सरकारी नौकरी करने वाले 60-62 के बाद सेवानिवृत्ति को ही वृद्धावस्था  की शुरूआत मान लेते है और जिसने मन से ही इसे स्वीकार कर लिया उसे तो वृद्ध होना ही है और यही वृद्ध 75 तक आते आते तो बूढ़ा या बुजुर्ग बन जाता है। कुछ व्यक्ति इसके अपवाद हो सकते हैं जो मन से वृद्ध नहीं हुए वे अपने आपको प्रौढ़ समझने लगे तो भी उचित होगा किन्तु कुछ लोग इस उम्र में भी जवान होने का भ्रम पाल लेते है और जिसको पाला उसको पोसते भी हैं। सबसे पहले यह दषा को दर्शाने वाले सिर के सफेद बालों को काला कर लेते हैं। मूछों और कान के पास के बाल इस काले रंग को पछाड़कर तुरन्त अपनी अवस्था में झांकने लग जाते हैं जो मानो कहते है कि जवारी उपर ही उपर अंदर से तो हम पके हुए ही है। उसके बाद ऐसी दशा के लोग टी शर्ट और बरमूंडा पहनकर जवानों की श्रेणी में अपना नाम लिखाना चाहते हैं लेकिन उनके पतले हाथ और मांस विहिन पिंडलियां उनकी जवानी की पोल खोलती नजर आती है। बहरहाल निष्कर्ष स्वरूप हम कह सकते है कि, मन वृद्ध नहीं हुआ तो शरीर भी वैसा ही बना रहेगा जो लोग मन से ही स्वीकार कर लेते है कि, अब हमसे नहीं होता तो वाकई उनसे नहीं होगा तो ऐसी स्थिति में हम मन में यह विचार जाए कि हम कर लेंगे तो हमारा आत्मविश्वास उस कार्य को पूर्ण करने में लग जाता है और वह कार्य हो जाता है।

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