Wednesday, April 23, 2025
Homeक्राइमबाघों की तस्करी: भारत में जंगलों की खामोश चीख़ें:Tiger Poaching Network Exposed

बाघों की तस्करी: भारत में जंगलों की खामोश चीख़ें:Tiger Poaching Network Exposed

भारत में बाघों की सुरक्षा को लेकर तमाम कदम उठाए गए हैं, लेकिन तस्कर हर बार एक नया तरीका खोज लेते हैं। हाल ही में 5 राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने मिलकर एक बाघ तस्करी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जो सोशल मीडिया के जरिए बाघों के अंगों की तस्करी चीन तक कर रहा था।

क्या भारत में बाघ अब भी सुरक्षित हैं?
अगर आपको लगता है कि बाघों के संरक्षण से उनकी सुरक्षा पक्की हो गई है, तो यह खबर आपको झकझोर देगी।

भारत में बाघ तस्करी का नया नेटवर्क

मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में बाघ शिकारियों का संगठित नेटवर्क सक्रिय है। हाल ही में महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश सीमा पर बहेलिया गैंग के सदस्य अजीत पारदी की गिरफ्तारी के बाद इस गुप्त तस्करी रैकेट का खुलासा हुआ।

🔸 कैसे हो रही है तस्करी?

  • भारत से बाघों के अंगों की तस्करी म्यांमार और उत्तर-पूर्वी राज्यों के रास्ते चीन तक की जा रही थी।
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए शिकारी और तस्कर एक-दूसरे से संपर्क कर रहे थे।
  • बाघों की हड्डियों पर फिटकरी पाउडर और अन्य कैमिकल्स का लेप लगाकर उनकी गंध खत्म की जाती थी, ताकि सुरक्षा एजेंसियां इसे पकड़ न सकें।

हवाला और डिजिटल पेमेंट: कैसे चल रहा था यह अवैध कारोबार?

शिकारी अब सिर्फ जंगलों में नहीं घूमते, वे डिजिटल युग के अपराधी बन गए हैं। इस नेटवर्क में हवाला और बैंकिंग सिस्टम का भी इस्तेमाल किया जा रहा था।

हवाला नेटवर्क से पैसों का लेन-देन किया जा रहा था।
✅ तस्करों के बैंक खातों में रकम जीरो बैलेंस अकाउंट्स में ट्रांसफर होती थी और तुरंत निकाल ली जाती थी।
✅ यह शिकार पिछले तीन सालों में 100 से अधिक बाघों के मारे जाने से जुड़ा माना जा रहा है।

2025 में बाघ तस्करों की गिरफ्तारियाँ

साल 2025 में कई बड़ी गिरफ्तारियाँ हुई हैं:

📌 जनवरी: महाराष्ट्र में अजीत गैंग का भंडाफोड़, सोनू सिंह और लालनेइसुंग की गिरफ्तारी।
📌 फरवरी: शिलॉन्ग में निंग सान लुन पकड़ा गया, जबकि हरियाणा में पीर दास को CBI ने धर-दबोचा।
📌 मार्च: मणिपुर में कप लियांग मुंग और हरियाणा के सोनीपत से सुमन देवी बावरिया गिरफ्तार।

लेकिन यह सवाल उठता है – क्या ये गिरफ्तारियाँ काफी हैं? जब तक इस नेटवर्क के मास्टरमाइंड तक नहीं पहुंचा जाएगा, तब तक बाघों का शिकार नहीं रुकेगा।

भारत में बाघों की संख्या: क्या हम बाघों को बचा सकते हैं?

भारत में बाघों की आबादी में सुधार तो हुआ है, लेकिन शिकारी माफिया अब भी सक्रिय हैं।

🔹 2014: 2,226 बाघ
🔹 2018: 2,967 बाघ
🔹 2022: 3,682 बाघ

भारत दुनिया के 75% बाघों का घर है, लेकिन अगर तस्करी ऐसे ही चलती रही, तो यह संख्या गिरने में देर नहीं लगेगी।

इतिहास से आज तक: बाघों का शिकार क्यों हो रहा है?

बाघों का शिकार कोई नई बात नहीं है। भारत में यह कुप्रथा सदियों से चली आ रही है।

👉 अकबर के समय बाघों के शिकार पर पुरस्कार दिया जाता था।
👉 जहांगीर ने 12 वर्षों में 86 बाघों और शेरों को मार डाला।
👉 ब्रिटिश शासन (1875-1925) के दौरान 80,000 से अधिक बाघ मारे गए।
👉 राजाओं और नवाबों के लिए बाघों का शिकार शान और गौरव का प्रतीक बन चुका था।

अब सवाल यह है कि क्या हम इतिहास को दोहराने देंगे, या इससे सबक लेकर बाघों को बचाने के लिए कुछ करेंगे?

बाघ संरक्षण पर हमारा कर्तव्य

सरकार और एजेंसियां अकेले इस समस्या का समाधान नहीं निकाल सकतीं। हमें भी बाघ संरक्षण की जिम्मेदारी उठानी होगी।

🚨 अगर हमने इसे नहीं रोका, तो अगली पीढ़ी को बाघ सिर्फ किताबों और तस्वीरों में देखने को मिलेंगे।

“खामोश लाशों ने सरकार से पूछा,
‘गोलियां खा लीं, अब और क्या चाहोगे?'”

निष्कर्ष: बाघों की आखिरी दहाड़ को बचाने की जरूरत

बाघ सिर्फ जंगलों का राजा नहीं है, बल्कि भारत की संस्कृति, प्रकृति और विरासत का अभिन्न हिस्सा है।

अगर तस्करों को रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो यह आखिरी दहाड़ हो सकती है। सरकार, वन्यजीव संगठन और आम नागरिक—हम सबको मिलकर बाघों के संरक्षण के लिए एकजुट होना होगा।

अब सवाल उठता है – क्या हम बाघों को बचाने के लिए कदम उठाएंगे, या सिर्फ आँकड़े गिनते रहेंगे?

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

You cannot copy content of this page