
13 महीने तक नियमित पेंशन… शिकायत करते ही रोक दी गई; दीपावली बेरंग, प्राध्यापक बोले: “यह बदले की कार्रवाई और मानसिक प्रताड़ना है”

मंदसौर। जिले में पेंशन व्यवस्था को लेकर गंभीर मामला सामने आया है। मंदसौर पीजी कॉलेज के सेवा-निवृत्त प्राध्यापक लक्ष्मीनारायण शर्मा ने कलेक्टर कार्यालय और जन-सुनवाई में जमा किए आवेदन में आरोप लगाया कि उन्हें 13 महीनों तक पेंशन नियमित रूप से समय पर मिलती रही, लेकिन शिकायत करने के बाद विभाग ने बदले की भावना से उनकी पेंशन रोक दी। अक्टूबर माह की पेंशन न मिलने से उनके परिवार की दीपावली भी नहीं मन पाई।
क्या हुआ था?—शर्मा का आरोप
शर्मा ने बताया कि उन्हें लगातार 13 महीनों तक नियमित पेंशन मिलती रही। बाद में पेंशन हर माह की 10 से 14 तारीख के बीच आने लगी, जिसे लेकर उन्होंने कलेक्टर को शिकायत की।
कलेक्टर ने मामले में संज्ञान लेकर निर्देश जारी किए।
संज्ञान के बाद ही पेंशन को रोक दिया गया, जबकि पहले किसी तरह की समस्या नहीं थी। अक्टूबर 2025 की पेंशन नहीं मिली, जिससे दीपावली का त्योहार भी बेरंग रहा।
शर्मा के शब्दों में…
“यह साफ़ बदले की कार्रवाई है। शिकायत की तो पेंशन रोक दी। दीपावली तक नहीं मन पाई। एक रिटायर्ड प्राध्यापक के साथ ऐसा व्यवहार अपमानजनक है।”
झूठा प्रकरण और क्लीन चिट
आवेदन में शर्मा ने यह भी उल्लेख किया है कि सेवानिवृत्ति के समय उन पर एक झूठा प्रकरण दर्ज कर दिया गया था, लेकिन विभागीय जांच में उन्हें तरह क्लीन चिट मिल गई। इसके बाद भी प्रकरणों को बहाना बनाकर उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है।
जन-सुनवाई में दूसरी बार पहुंचे प्राध्यापक
शर्मा दूसरी बार जन-सुनवाई में पहुँचे। उन्होंने बताया कि—वे जिला पंचायत के सीईओ से भी मिले,
लेकिन सीईओ ने कहा—
“लोकायुक्त में शिकायत कर दो, पेंशन नहीं दे रहे हैं।” यह जवाब व्यवस्था की संवेदनहीनता का बड़ा प्रमाण है ?
यह जवाब व्यवस्था की संवेदनहीनता का बड़ा प्रमाण है ?
शर्मा ने 2021 से 2025 तक की पत्रावलियाँ, आदेश, नोटशीट, भुगतान रिकॉर्ड और विभागीय पत्राचार की प्रतियाँ सौंपी हैं। दस्तावेज़ों पर कार्यालय की प्राप्ति मुहर स्पष्ट है, जो बताती है कि मामला अब औपचारिक रूप से विचाराधीन है।
नाम: लक्ष्मीनारायण शर्मा
पद: सेवा-निवृत्त प्राध्यापक, मंदसौर पीजी कॉलेज
समस्या: शिकायत के बाद पेंशन रोकना
अक्टूबर की पेंशन न मिलने से परिवार दीपावली नहीं मना पाया
सेवानिवृत्ति के बाद झूठा प्रकरण—विभागीय जांच में क्लीन चिट
दूसरी बार जन-सुनवाई, कलेक्टर कार्यालय में विस्तृत दस्तावेज़ जमा
पेंशन रोककर बदले की कार्रवाई ! यह सिर्फ प्रशासनिक त्रुटि नहीं, व्यक्ति के सम्मान और जीवनयापन पर हमला है।
एक सेवानिवृत्त प्राध्यापक को बार-बार जन-सुनवाई में भटकना पड़े, यह प्रणाली की गंभीर विफलता है।
अगर शिकायत करना ही सज़ा बन जाए, तो पारदर्शिता और जवाबदेही कैसे कायम रहेगी ?




