
मंदसौर जनपद के अलावा सीतामऊ और भानपुरा जनपद अध्यक्ष के लिए चुनाव हुए जिसमे दो भाजपा समर्थक व एक कांग्रेस समर्थक की ताजपोशी शामिल है, उल्लेखनीय है कि मंदसौर जनपद के लिए कांग्रेस ने अपना कोई उम्मीदवार ही खड़ा नहीं किया यानी इस जंग में कांग्रेस का शामिल न होना पहले से अपनी हार मान लेने जैसा दिख रहा है । जबकि भाजपा ने फ्रि ऑल किया तो बसंत शर्मा और शिवराजसिंह राणा मैदान में उतरे। इसमें बसंत शर्मा ने विजयी हासिल की। हालांकि श्री राणा यशपाल सिंह सिसौदिया खेमे के माने जाते है जिनके नाम से जिलाध्यक्ष नानालाल पाटीदार सहित संगठन व सांसद सुधीर गुप्ता भी सहमत थे, जबकि बसंत शर्मा टीम की अपनी अलग लॉबिंग थी और वे वित मंत्री जगदीश देवड़ा के खेमे के बताए जाते है, इधर सीतामऊ जनपद में भाजपा की रुकमणबाई मांगीलाल सूर्यवंशी निर्विरोध अध्यक्ष चुनी गई। बात करें भानपुरा की तो यहां पूर्व गृहमंत्री सुभाष सोजतिया का जलवा खम ठोकता बरकरार नजर आया। कांग्रेस प्रत्याशी विजयी पाटीदार ने भाजपा के सुनील तल्लानी को हराया। भानपुरा में जहां पद्रह जनपद सदस्य थे तो वहीं अन्य सभी जगहों पर जनपद सदस्यों की संख्या पच्चीस थी। भानपुरा में पूर्व मंत्री सुभाष सोजतिया की रणनीति ने फिर साबित कर दिया कि उनकी सियासत का कोई तोड़ नहीं है ।
कौन कितने मतों से जीता
25 जनपद सदस्यों वाली मंदसौर जनपद पंचायत में भाजपा के बीच ही अध्यक्ष को लेकर मुकाबला हुआ। शिवराजसिंह घटावदा व बसंत शर्मा दोनों भाजपा खेेेमे के ही अध्यक्ष का चुनाव लड़े। जनपद के बाहर बीजेपी संगठन के तमाम पदाधिकारियों व दिग्गजों का जमावड़ा भले ही लगा रहा लेकिन पार्टी की और से प्रत्याशी अधिकृत नहीं किया। वहीं कांग्रेस का उम्मीदवार नहीं था। शिवराजसिंह राणा को 11 वोट मिले तो बसंत शर्मा को 14 वोट मिले। इसी तरह से भानपुरा की बात करें तो यहां कांग्रेस के विजय पाटीदार को दस वोट मिले तो भाजपा के सुनील तिल्लानी को पांच वोटों से ही संतोष करना पड़ा। इसके अलावा सीतामऊ जनपद में भाजपा की रुकमणबाई मांगीलाल सूर्यवंशी निर्विरोध अध्यक्ष चुनी गई।
कांग्रेस को क्यों नहीं मिला उम्मीदवार?
अब बात करें मंदसौर के जनपद अध्यक्ष चुनाव की तो कांग्रेस ने उम्मीदवार ही खड़ा नहीं किया। यह पूरे जिले में चर्चा का विषय बना रहा। पहले श्याम गुगर को उम्मीदवार बनाने की चर्चा थी, लेकिन अंतिम समय में कांग्रेस ने हथियार ही डाल दिए। जबकि मंदसौर में कांग्रेस के पास 7 अधिकृत उम्मीदवार व 1 समर्थित सदस्य था। कहीं न कहीं कांग्रेस जोड़तोड़ कर कोशिश कर सकती थी। लेकिन शुरू से अब तक कांग्रेस की रणनीति लगड़ी दिखी जो मंजिले मकसूद तक नहीं पहुंच पाई । जबकि
भाजपा के लिए मंदसौर में माईनस
सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि जनपद मंदसौर में भाजपा ने फ्रि फॉर आल कर दिया। जिले में कई जगहों पर एकजुटता दिखाते हुए फतेह हासिल करने वाली भाजपा यहां समन्वयन नहीं बैठा पाई। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह की उलझन नगरपालिका अध्यक्ष मंदसौर के मनोयन में हो सकती है।