
मंदसौर। जमीन का नामांतरण करने के मामले में 5 हजार की रिश्वत लेते 7 साल पहले रतनगढ़ में पकड़ाए नायब तहसीलदार शम्भूसिंह सिसोदिया को न्यायालय ने 4 साल की कैद की सजा सुनाई है। बताया जा रहा है कि न्यायालय का निर्णय नायब तहसीलदार के रिटायर होने के बाद आया। शुक्रवार को फैसला सुनाने के बाद न्यायालय ने आरोपी को जेल भेज दिया था।उल्लेखनीय है कि 13 अगस्त 2015 को शिकायतकर्ता बालमुकुंद धाकड़ की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस उज्जैन के दल ने निरीक्षक-बसंत श्रीवास्तव के नेतृत्व में कार्रवाई करते हुए रतनगढ़ टप्पा तहसील कार्यालय में पदस्थ नायब तहसीलदार शम्भूसिंह सिसोदिया को ट्रेप किया था और जमीन का नामांतरण करने के नाम 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।
बाथरुम में छिपा दिए थे रिश्वत के रुपए
लोकायुक्त टीम की दबिश को देख नायब तहसीलदार ने रिश्वत के रूपए अपने सरकारी आवास के बाथरुम में बाल्टी के पीछे छुपा दिए थे, जिन्हें लोकायुक्त टीम ने बरामद कर लिया था। जिन्हें बरामद करने के बाद लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर नायब तहसीलदार को 25 हजार रुपए के मुचलके पर रिहा किया था
रिश्वत की पहली किश्त लेते हो गई थी कार्रवाई
प्रकरण के अनुसार ग्राम मआवदा के बालममुकंद धाकड़ के भाई प्यारचंद धाकड़ से 57 आरी जमीन के नामांतरण को लेकर विवाद रतनगढ़ में नायब तहसीलदार शम्भूसिंह सिसोदिया की कोर्ट में चल रहा था। जमीन मां केलीबाई के नाम से दर्ज थी, जिसकी मृत्यु के बाद दोनों भाई में जमीन पर हक को लेकर विवाद था।इस मामले में नायब तहसीलदार ने बालमुकुंद के हक में फैसला देने के लिए 25 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। इसकी पहली किश्त के 5 हजार रुपए लेने के दौरान शाम 13 अगस्त 2015 को शाम करीब 6.45 बजे रतनगढ़ स्थित सरकारी आवास पर दबिश देकर लोकायुक्त टीम ने नायब तहसीलदार को धर दबोचा था।
7 साल बाद आया फैसला, रिटायर्ड होने के बाद हो गई जेल
कार्रवाई के बाद लोकायुक्त ने विशेष न्यायालय में चालान पैश किया था, जिसके विचारण के दौरान न्यायालय ने दोनों पक्ष को सुना। गवाह, साक्ष्य आदि के परीक्षण किया। इस दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में आरोप प्रमाणित किया गया।हालांकि करीब 7 वर्ष तक चली सुनवाई के दौरान नायब तहसीलदार शम्भूसिंह सिसोदिया रिटायर्ड हो गए थे और मामले में शुक्रवार को विशेष न्यायालय का निर्णय आया, जिसमें आरोपी शम्भू को 4 साल के कारावास की सजा सुनाई है और आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।