मंदसौर। दुष्कर्म के एक मामले में न्यायालय ने बीस साल की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट जितेंद्र कुमार बाजोलिया ने नाबालिग के घर में घुसकर दुष्कर्म करने के आरोपित को 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी किया है।
अभियोजन सहायक मीडिया सेल प्रभारी शोएब खान ने बताया कि 10 अगस्त 20 को 13 वर्षीय फरियादिया ने माता-पिता के साथ मल्हारगढ़ थाने पर आकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि मम्मी-पापा, भाई-बहन मजदूरी करने गए थे। तभी शाम 5 बजे 26 वर्षीय दशरथ पुत्र मांगीलाल मेघवाल निवासी पहेड़ा मगरा घर के अंदर आ गया। उसने जबरदस्ती खोटा काम किया। इतने में मेरे पापा आ गए। इस पर दशरथ दरवाजा खोलकर भागने लगा। पापा ने दौड़ कर दशरथ को पकड़ा। वह धक्का-मुक्की कर भाग गया। मम्मी घर पर आई तो सारी बात बताई कि दशरथ ने दो माह पहले भी घर में आकर खोटा काम किया था और किसी को बताने पर मां-बाप सहित मुझे जान से मारने की धमकी दी थी। मल्हारगढ़ पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। सभी पक्षों को श्रवण करने के बाद विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट जितेंद्र कुमार बाजोलिया ने आरोपित दशरथ मेघवाल को दोषी पाते हुए भादसं की धारा 376(3) के तहत 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5 हजार रुपये जुर्माना, भादसं की धारा 450 के तहत 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। न्यायालय ने पीडि़ता को दो लाख रुपये का प्रतिकर देने का आदेश भी दिया। अभियोजन का संचालन विशेष लोक अभियोजक पाक्सो एक्ट हेमलता बामनिया ने किया।