आर्जव धर्म। यह धर्म व्यक्ति से समष्टि, एकल से समग्रता, घर से मुहल्ला, शहर, प्रदेश, देश और समस्त देशों में शांति का संदेश देता है। प्रत्येक व्यक्ति में सरलता आ जाये तो संपूर्ण दुनिया में शांति आ जाये। छलकपट, मायाचारी, बेईमानी छोड़कर आर्जव धर्म अपनाने से स्वच्छ समाज का निर्माण होगा। दुनिया के सारे देश यदि छल-कपट छोड़ दें तो सारी दुनिया में सुख-शांति आ जाये। आज नीचे से ऊपर तक कहीं न कहीं छल-कपट पुष्पित-पल्लवित है। वस्तुओं में मिलावट, कालाबाजारी, डाक्टरों द्वारा अपना पैसा बनाने के चक्कर में अवश्यकता न होने पर भी आपरेशन कर देना, पैसा बनाने के चक्कर में निगेटिव की पांजिटिव, पाजिटिव की निगेटिव रिपोर्ट बना देना आदि मरीजों के साथ बेईमानी, कर्मचारियों द्वारा अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं निभाना, सौदों में बीच में कमीशन लेना, काम करवाने की ऐवज में रिश्वतखोरी करना, मुह से कहना कुछ और तथा करना कुछ और ये सब मायाचारी में आते हैं। इनको छोड़ने पर ही व्यक्ति के गुण प्रकट होता है। सरलता ही मनुष्य का वास्तविक स्वभाव है।

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