कुपोषण को समझाना इतना आसान नही होता क्योकि 95 प्रतिशत कुपोषित बच्चे स्वस्थ बच्चो नकी तरह ही दिखते है वे खेलते है सोते है ओर कई तो  भोजन भी करते है आराम से तो माँ को ये लगता है कि मेरा बच्चा तो ठीक है अगर उनसे कहा जाय कि उस्कॉ वजंन कम है या लमबाई कम है तो परिवार के पास जवाब होता है मेडम सा अनकी। रॉड ऐसी है यो तो अ नकी माँ पे गयो है यो इको बाप भी एसओ ज है यो भी असो ई रेगा फिर कई परिवार के लोग कहते है मैडमजी यो तो अच्छो भलो है न कोई बीमारी मस्त खेले कूदे हमारी आगनवड़ी के कुपोषित बच्चों के 75 प्रतिशत परिवार को कुपोषण कोई समस्या है ये समझाना बहुत कठिन होता है और ऐसे अधिकांश बच्चे मध्यम कुपोषण की श्रेणी में आते है लेकिन परिवार की लापरवाही कहे या इस बात पर गौर नही करना कहे बच्चे गंभीर कुपोषण में चले जाते है 

इसीलिए समुदाय के लिए महिला बाल विकास विभाग ने अब स्वस्थ बालक बॉलिका प्रतियोगिता का आयोजन किया जिससे हम स्वस्थ बच्चे की न सिर्फ सही पहचान बता पाए बल्कि स्वस्थ बच्चो की माताओं से भी अन्य कुपोषित बच्चों की माताओं से रूबरू करआये

जो समुदाय को बताए कि उस्कॉ बचचा इतना स्वस्थ कैसे रखती है वो क्या क्या खिलाती है वही आंगनवाड़ियों पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी आमन्त्रित किया ताकि उनके गाव के कुपोषण का उनको पता रहे और वे भी इस अभियान के भागी दारबने 

26 सेप्टेम्बर को ये प्रतियोगिता अमलावद सेक्टर के 16 गाव में 32 केंद्रों पर आयोजित हुई 

जिश्मे जनप्रतिनिधियों ने अपनी उपस्तिथति दी वही माताएं अपने बच्चो के साथ उपस्तिथ हुई सभी केंद्रों की आँगन वाड़ी कार्यकर्ताओ सहायिकाओं ने बच्चो को लमबाई ओर वजन के साथ  व्यक्तिगत स्वच्छता  बाल नाखून कटे हुवे भोजन नास्ता बराबर लेना आदि बिन्दूओ  पर अंक देकर प्रतम द्वितीय तृतीय बच्चे का चयन किया और अपने केंद्र पर 6 माह से 3 वर्ष ओर 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के 6 बच्चो को प्रति केंद्र पुरस्कार वितरण कियेबादा खेड़ी जवासिया साकरिया करनाखेड़ी करजू नन्दावता ग्राम में सरपंच महोदय ने किए पुरस्कार वितरण किए

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