सरकारी जमीन पर कैसे कोई व्यक्ति डामर की सड़क बना सकता है , क्या यह दान का कोई नया उदाहरण है 

   (  महावीर अग्रवाल  )

मन्दसौर । रामटेकरी स्थित राम जानकी मन्दिर की 108 बीघा जमीन को लेकर एसडीएम कार्यालय के एक आदेश के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही राजस्व विभाग ने की लेकिन काम फिर अधूरा क्यो छोड़ा गया यह यक्ष प्रश्न चर्चा में है तो फिर भ्रष्टाचार के घेरे को कैसे समाप्त।किया जाएगा। अतिक्रमण हटाने के समय कुछ कालोनियों से लगे पक्के निर्माण भी हटाए गए लेकिन विरोध करने कोई सामने नही आया ,ऐसा तहसीलदार श्री मुकेश सोनी ने एक चर्चा में बताया। राजस्व विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि अभी राम जानकी मंदिर की जमीन की नपती फिर की जाएगी तो एक अधिकारी का कहना है कि कुछ निजी कालोनियों से लगी हुई जमीन आ सकती है फिर से नपती में मन्दिर की।बात तो यहां तक है कि नगर पालिका की मेघदूत नगर कालोनी तक मे इस मन्दिर की जमीन हो सकती है जिसके लिए नगर पालिका से तहसीलदार ने जवाब मांगा है। 

     मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की भ्रष्टाचार मुक्त शासन की झोली में मन्दसौर की शनि मंदिर के यहां की और नरसिहपुरा के हजारों वर्षों पूर्व के गंदे नालों की जमीनों पर आलीशान कालोनियां, सरकारी जमीन पर निजी व्यक्ति द्वारा डामर की सड़क , तेलिया तालाब के डूब क्षेत्र की जमीन जिसके लिए ग्रीन ट्रिब्यूनल का फैसला आ गया , जिनिग फेक्ट्री को सरकार ने जमीनें लीज पर दी थी या नही जिन पर आलीशान कालोनियां दर्शन दे रही है।ये सब करोड़ो -अरबो रु की ज्वलंत मामले है जिनका दूध का दूध और पानी का पानी उन्हें करना चाहिए। 

         मंदसौर में गंदे नालों की सरकारी हो या मंदिर की बेशकीमती जमीनों की जो लूटमार मची है वह एक रिकॉर्ड है  कहां जाए तो आश्चर्य नहीं होगा । शनि मंदिर और नरसिंहपुरा के यहां हजारों वर्ष पुराने गंदे नालों की जमीन है जिन पर नपती के बाद नई कॉलोनियों के जन्म के बाद महंगे प्लाटों पर आलीशान मकानों की भृकुटियां तन गई हो या मंदिर की जमीन हो जिन पर कालोनियों का कब्जा हो गया। ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद नगर के जीवन दायी तेलिया तालाब के डूब क्षेत्र की हजारों बीघा जमीन का मसला हो या जिनिंग फैक्ट्रियों की लीज की जमीनों का मसला हो । बेश कीमती ये जमीनें अब पुकार रही है शासन के स्टेट समय के गजट व नक्शा तथा भारत सरकार में इस जिले का कोई वर्षो पुराना नक्शा यदि शासन उपलब्ध करवा कर फिर उस आधार पर इन सबकी क्या मन्दसौर शहर के पूरे इलाके की नपती हो जाए तो फिर ये शासकीय जमीनें चेन की सांस ले सकेगी। 

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की टेबल पर मंदसौर की उक्त सभी करोड़ों अरबों रुपयों की बेशकीमती जमीन अपने भाग्य का फैसला ऐसे पुराने नक्शे के साथ नपती की मांग कर अपनी मुक्ति की अभिलाषा कर रही है । मुख्यमंत्री श्री चौहान का भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के सम्मुख आगामी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के पूर्व इन सभी सरकारी जमीनों की मुक्ति का प्रमाण पत्र प्रदान कर आदर्श प्रस्तुत करेगा तो चुनाव में वह अपना डंका बजाने की दुदुंभी भी करने की हुंकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की दुहाई देकर बजा सकेगा । 

राजस्व प्रशासन ने राम जानकी मंदिर की 100 बीघा जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने की बात कह कर 300 करोड़ की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया ऐसा उनका मानना है परंतु श्रीमान नपती अधूरी क्यों छोड़ी और जो कुछ कालोनियों में कुछ जमीने दबी होने को लेकर नपती फिर की जाएगी कहा गया लेकिन ऐसा क्यों किया गया जिन कॉलोनियों में मंदिर की जमीन दबी है वह तो स्पष्ट हो गया फिर प्रशासन ने कोहनी पर गुड लगाकर किसके लिए छोड़ा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को भ्रष्टाचार मुक्त जमीन पर ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई किसका और क्यों इंतजार कर रही है। क्या कोई इसे बचाने के लिए कड़ी मेहनत के साथ करोड़ो रु इकट्ठे हो रहे है तो यह शासन की गोपनीय जांच का विषय है । जांच में यह गलत पाया जाता है तो शासन को चाहिए कि वह जनता को स्थिति स्पष्ट करें। 

अभी की कार्यवाही में राम जानकी मंदिर की मात्र 90 बीघा जमीन राजस्व विभाग द्वारा कब्जे में लेने की बात सामने आई है । एसडीएम न्यायालय के एक निर्णय के बाद राम जानकी मंदिर की जमीन की नपती हुई बताते हैं कि कांग्रेस सरकार के समय इस जमीन की नपती हुई थी लेकिन बाद में यह फाइल कहां धूल चाटती रही और क्यों इसका कोई जवाब नहीं है ।अभी तो बताते हैं की मौके पर मंदिर की जमीन पर कई कब्जे हो गए हैं जो हटने का इंतजार कर रहे हैं तो प्रशासन ही जाने सर्वे नंबर 264 की जमीन को देखा जाए कि क्या यह मंदिर की जमीन है इसके लिए तहसीलदार ने नगर पालिका से आवश्यक कागज मांगे हैं जिन कुशल बिहार ,सांवरिया विहार ,आदित्य विहार सहित एसी कुछ कॉलोनी है जिन से लगी है राम जानकी मंदिर की जमीन इनकी नपती कर दूध का दूध पानी का पानी किया जाना चाहिए। एक कृष्णा कॉलोनी को लेकर प्रश्न खड़े हैं तो प्रशासन को इसकी भी नपती कर स्थिति स्पष्ट करना चाहिए । नपती दल ने यदि इस कॉलोनी के कुछ मकानों के वहां निशान लगाए थे और नहीं लगाए तो स्पष्टीकरण अभी तक क्यों नहीं दिया ।क्या यह कॉलोनी में कुछ जमीन पर मंदिर की जमीन की शंका बताई जा रही है ।वह सही है या गलत इसका भी प्रशासन को चाहिए की जनता को बताएं।

एसडीएम श्री बिहारी जी ने एक चर्चा में कहा कि अभी राम जानकी मंदिर की जमीन की नपती और होगी। तहसीलदार श्री मुकेश सोनी ने एक चर्चा में कहा कि राम जानकी मंदिर की जमीन से अतिक्रमण हटाते समय विरोध करने कोई सामने नहीं आया अभी नपती फिर होगी और कुछ कालोनियों में मंदिर की जमीन पर कब्जा हो सकता है ।यदि हुआ तो नपती के दौरान हटाएंगे।

सबसे बड़ी बात तो यह कि मंदसौर में गंदे नालों की जमीन पर कालोनियां बनकर उन पर प्लाट भी कट गए । कॉलोनियों में  बसाहट हो गई । डीगांव में सरकारी जमीन पर पक्की दीवार बन गई थी जिसे प्रशासन ने हटाया और कहा कि एक करोड़ रु की जमीन से कब्जा हटाया। लीज की जमीनों का मसला हो या तेलिया तालाब के डूब क्षेत्र की जमीनों का हो या सरकारी जमीन पर डामर की सड़क बनने का , महू नीमच रोड़ से भुन्यखेड़ी जा रही डामर की सड़क के दोनो और बीच सेंटर से 6-6 मीटर क्या सरकारी जमीन सुरक्षित है । इसे कोन देखेगा। आखिर इसके लिए प्रथम कड़ी में शासन का कौनसा नुमाइंदा जिम्मेदार है ।यह अभी तक क्यो नही देखा गया। ऐसा होगा तो भविष्य में सरकारी जमीनों की स्थिति क्या रहेगी इस पर भी शासन को स्थिति स्पष्ट कर देना चाहिए। पटवारी की भूमिका क्या है और क्या रही । इसे अनदेखा नही किया जाना चाहिए। साठगांठ यदि ऑंखमीच लेगी तो सरकारी जमीनों से इस प्रकार अतिक्रमण हटते रहेंगे , होते रहेंगे। इंतजार रहेगा अब ताकि सनद रहे कार्यवाही का । वरना तो सरकारी जमीनों का कोई धणी धोरी नही होगा तो हश्र से इनकार कैसे करेगा शासन।

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