
मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में औद्योगिक विकास की धीमी रफ्तार को लेकर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का दर्द सार्वजनिक मंच पर छलक पड़ा। ग्वालियर के विजयाराजे सिंधिया गर्ल्स कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने उन्होंने भावुक अपील की। तोमर ने कहा कि ग्वालियर-चंबल के विकास के लिए यदि उन्हें सिंधिया के दरवाजे पर बैठना पड़े, तो वे इसके लिए भी तैयार हैं।
ग्वालियर विकास में पिछड़ा, तोमर ने जताई चिंता
ऊर्जा मंत्री ने अपने संबोधन में ग्वालियर के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के गठन से पहले यह क्षेत्र औद्योगिक रूप से प्रदेश के अन्य शहरों से आगे था। 1 नवंबर 1956 को जब मध्य प्रदेश बना था, तब ग्वालियर में सिमको रेशम मिल, कांच मिल जैसी कई बड़ी औद्योगिक इकाइयां थीं। साथ ही, मेडिकल कॉलेज की स्थापना और मजबूत बुनियादी ढांचा इस क्षेत्र की समृद्धि का प्रतीक थे।
लेकिन अब स्थिति बदली हुई है। इंदौर, भोपाल और जबलपुर जैसे शहरों के मुकाबले ग्वालियर विकास की दौड़ में पिछड़ता जा रहा है। तोमर ने कहा कि ग्वालियर को फिर से उसी ऊंचाई तक पहुंचाना होगा, जहां यह कभी था। उन्होंने इस बदलाव के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से विशेष पहल करने की अपील की।
सिंधिया से सीधी अपील – “अब आगे आना ही पड़ेगा”
प्रद्युम्न सिंह तोमर ने मंच से कहा,
“श्रीमंत महाराज साहब सिंधिया जी, यह सेवक आपसे विनती करता है कि आपको अब आगे आना ही पड़ेगा। हो सकता है कुछ मजबूरियां हों, लेकिन उन सीमाओं को लांघना पड़ेगा।”
उनका यह बयान ग्वालियर के औद्योगिक और बुनियादी विकास को लेकर गहरी चिंता और बेचैनी को दर्शाता है।
“यह राजनीतिक मुद्दा नहीं” – तोमर की सफाई
जब मीडिया ने इस बयान को लेकर सवाल किए, तो ऊर्जा मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि ग्वालियर के विकास के लिए की गई एक भावनात्मक अपील थी। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य इस क्षेत्र के औद्योगिक पुनरुद्धार को गति देना है, न कि किसी राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाना।
क्या BJP में बढ़ रही गुटबाजी?
हालांकि, तोमर के बयान ने ग्वालियर से लेकर भोपाल तक सियासी हलचल मचा दी। इसे बीजेपी के अंदरूनी खींचतान से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
👉 सिंधिया खेमा बनाम नरेंद्र सिंह तोमर खेमा की अंदरूनी खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है।
👉 सिंधिया समर्थकों को लग रहा है कि BJP में आने के बाद से उन्हें ग्वालियर की राजनीति में साइडलाइन किया जा रहा है।
👉 ऐसा कहा जा रहा है कि सिंधिया को मुख्यमंत्री के ग्वालियर दौरों में बुलाया तक नहीं जाता, जिससे उनके समर्थकों में नाराजगी है।
BJP में सिंधिया की स्थिति पर सवाल?
गौरतलब है कि कांग्रेस में रहते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर-चंबल अंचल की राजनीति को मजबूती से संभाला था। लेकिन BJP में आने के बाद उनका इस क्षेत्र से दूर रहना चर्चा का विषय बन गया है।
क्या सिंधिया समर्थकों की अनदेखी हो रही है?
क्या ग्वालियर-चंबल की राजनीति में BJP के अंदर समीकरण बदल रहे हैं?
क्या ग्वालियर का विकास राजनीतिक उठापटक की भेंट चढ़ रहा है?
ग्वालियर का भविष्य – राजनीति या विकास?
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का यह भावुक बयान केवल एक अपील नहीं, बल्कि ग्वालियर-चंबल के औद्योगिक ठहराव को लेकर एक गंभीर सवाल भी खड़ा करता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया इस मुद्दे पर आगे आकर कोई ठोस कदम उठाएंगे या फिर यह बयान सिर्फ सियासी गलियारों में गूंजकर रह जाएगा?
आपको क्या लगता है? क्या ग्वालियर-चंबल का विकास वास्तव में ठप हो गया है? अपनी राय कमेंट में जरूर दें!