मंदसौर।
एक दिन में सुल्तान बनने को लेकर दौलत का खजाना समझा जाने वाला डोडाचूरा और मादक पदार्थों की तस्करी में अकूत दौलत तो रहती है लेकिन इसमें रिस्क बहुत रहती है… इसलिये तिकड़म बाजी, हेरा फेरी और सेटिंग के चलते सम्पन्ता के मुकाम पर पहुंचाने वाला दूसरा गौरखधंधा जमीनी कारोबार समझा जाने लगा, धीरे-धीरे इस कारोबार को सफेदपोशों ने येन केन प्रकरेण नोट छापने की मशीन बना दिया सो इसमें अपराध, चार सौ बीसी, जालसाजी, शोषण, दुष्चक्र भी सम्मलित हो गया हालात ये हो गये की सरकार को इनकी मसल और मनी को लेकर भू-माफियाओं के लिये मुहिम चलाना पड़ी लेकिन इसमें भी सरकार डाल-डाल तो भू-माफिया पात-पात होते जा रहे है… हालांकि कुछ कालोनाईजरों ने इस कारोबार में सिस्टेमेटिक ढंग से कर खुद की गुडवील और रेपो बनाया है लेकिन इस कारोबार में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से अपराध और अपराधियों की इंट्री भी हो गई जिसका चतुर सुजान और धूर्त भू-माफिया फायदा उठाकर अपना काम सिद्ध कर लेते है।
अब मंदसौर में प्री लॉचिंग की नई स्कीम लेकर शातिर भू-माफिया ने अकूत दौलत कूटने की स्कीम बनाई है… इन्वेस्टर, मध्यमवर्गीय और बढ़त करने का दुष्चक्र तैया किया गया है जिसमें आर्टिफिशल झोल या उछाल की सुनियोजित स्कीम (षडयंत्र) बनाकर लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है।
अब भू-माफिया कोई भी मौके का खेत देखकर उसके मालिक को टोकन मनी देकर एग्रीमेन्ट कर लेते है… फिर शुरू हो जाता है प्री लॉचिंग का खेल, इस हवा हवाई के धंधे में लुभावने नक्शे बनाये जाते है, खेत पर लाईने खींच कर प्री लॉचिंग का कारोबार कर पहले प्रति स्क्वायर फिट का रेट खोल दिया जाता है। उदाहरण के लिये शुरूआती तौर पर 1500 रू. का रेट खोला गया तो थोड़े समय बाद उस कॉलोनी में औपचारिक डवलपमेंट कर बाजार में मैसेज छोड़कर 1500 के रेट में बनावटी उछाल लाकर 17 या 18 सौ रूपये की पुडिय़ा बनाकर फेंक दी जाती है। इस तरह से थोड़ा-थोड़ा डवलपमेंट कर कॉलोनी प्लानिंग से जमीन के भाव बढ़ते जाते है। जिससे इन्वेस्टरों को अपनी कुंडली में बिठाया जा सके।
रेपूडेटेट डवमेंट की छवि को बुना लेते है
इस कारोबार में शातिर जमीनी कारोबारी बाजार में जर्बदस्त गुडवील वाले डवमेंट का नाम मुकर्रर कर उसे बाजार में कैश करवा लेते है, ऐसे में डवलमेंट करने वाले के नाम को फ्रंट में लाकर बाजार से तबीयत से पैसा खींच लिया जाता है। इस तरह से डवलमेंट करने वाले की इमेज को शौकेस में रखकर ये कारोबार परवान चढ़ाया जाता है।
डायरी पर करोड़ों का कारोबार
कालोनाईजर प्लाट बुक कर डायरी इश्यू करता है जिसमें लिये गये पैसों की इंट्री ली जाता है, थोड़ा बहुत डवलमेंट कर फिर पैसा लेकर इस डायरी में रूपयों की इन्ट्री कर दी जाती है, इस तरह से बीना अधिकृत लिखा पढ़ी के करोड़ों रूपये डायरी के जर्ये लेकर बिना किसी शासकीय नियम को पूरे किये खेत खलियान को कॉलोनी बनाकर अनाधिकृत रूप से अकूत दौलत अंठी की जा रही है। पिछले ऐसी कुछ कॉलोनियों के प्रकरण पेडिंग भी चल रहे है, जिसमें रूपया लगाने वाले सिर्फ डायरी लेकर भटक रहे है।
कई कॉलोनियों लांच हो रही है…
गांधी नगर में ऐसी ही कथित कॉलोनी आकार ले रही है, जिसमें शौ केश में सजाकर डवलप करने वाले का नाम बेचा जा रहा है, कल कोई रट्टा फंसा तो उसका नाम खराब होगा, इस मामले में एक विवाद भी हुआ जिसमें पैसे वापस करने की खबर है, गांधी नगर जैसे ही नाजायज रिवाज के चलते इस पैटर्न पर चार से अधिक बड़ी कॉलोनी काटी जा रही है समय रहते ऐसे नाजायज रिवाज पर अंकुश लगाना जरूरी है।