Thursday, March 27, 2025
HomeNEWSकांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की ज़मीन फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए बेची गई!Scam...

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की ज़मीन फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए बेची गई!Scam with ex Cheif Minister Digvijay Singh

अंबेडकरनगर में बड़ा भूमि घोटाला: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की ज़मीन फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए बेची गई!

📍 उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की ज़मीन को बिना उनकी जानकारी के किसी और को बेच दिया गया!

कैसे खुला घोटाला?

यह मामला तब सामने आया जब ज़मीन के केयरटेकर अनिल यादव ने देखा कि उस पर निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस पर उन्होंने जिलाधिकारी, उप-जिलाधिकारी और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

कौन-सी ज़मीन बेची गई?

  • स्थान: रामनगर महुवर गांव, अलापुर तहसील, अंबेडकरनगर
  • प्लॉट नंबर: 1335K
  • क्षेत्रफल: 0.152 हेक्टेयर
  • स्वामित्व: दिग्विजय सिंह के नाम पर पंजीकृत

1989 में कैसे हुई फर्जी बिक्री?

असल में यह ज़मीन पहले दिग्विजय सिंह की मां अपर्णा देवी के नाम थी, जिनका निधन 1986 में हो गया था। उनकी मृत्यु के बाद, 18 मई 2024 को कानूनी रूप से यह ज़मीन दिग्विजय सिंह के नाम पंजीकृत हो गई।

लेकिन 1989 में ही एक फर्जी विक्रेता ने खुद को दिग्विजय सिंह बताकर ज़मीन बेच दी!

घोटाले में कौन-कौन शामिल?

इस धोखाधड़ी में कई लोग संदिग्ध हैं:
राम हरिक चौहान – निवासी: केवटली गांव, अलापुर तहसील
जियालाल – सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक
राजबहादुर और मंगली – निवासी: रामनगर महुवर

➡️ यह मामला तब उजागर हुआ जब खरीदारों के परिवार ने ज़मीन पर निर्माण कार्य शुरू किया।

क्या प्रशासन की लापरवाही जिम्मेदार?

➡️ हैरानी की बात यह है कि 1989 में ज़मीन बेच दी गई, लेकिन 2024 में यह कानूनी रूप से दिग्विजय सिंह के नाम हुई!

यह सवाल खड़ा करता है कि:

  • राजस्व रिकॉर्ड में इतनी बड़ी गड़बड़ी कैसे हुई?
  • क्या यह एक संगठित धोखाधड़ी थी?
  • फर्जी दस्तावेज़ कैसे बनाए गए?
  • क्या कोई प्रशासनिक अधिकारी भी इसमें शामिल था?

तहसील प्रशासन का क्या कहना है?

  • तहसील प्रशासन के अनुसार, यह ज़मीन अभी भी दिग्विजय सिंह के नाम पर पंजीकृत है।
  • 1989 की फर्जी बिक्री राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुई थी, जिससे मामला और जटिल हो गया।
  • हाल ही में दिग्विजय सिंह ने दाखिल-खारिज प्रक्रिया पूरी करवाई, जिससे साबित होता है कि यह ज़मीन कानूनी रूप से उनकी ही थी।

आगे क्या होगा?

तहसील प्रशासन ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है और भूमि रिकॉर्ड की दोबारा जांच शुरू कर दी है।
पुलिस यह जांच कर रही है कि क्या केवल राम हरिक चौहान इसमें शामिल था या प्रशासनिक अधिकारियों की भी मिलीभगत थी?
फर्जी दस्तावेज़ कैसे बने और इस भ्रष्टाचार को किस तरह अंजाम दिया गया?

दिग्विजय सिंह अब इस मामले में क्या कदम उठाते हैं? आगे क्या कार्रवाई होती है? ताज़ा अपडेट्स के लिए जुड़े रहें!

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

You cannot copy content of this page