
परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी अपने प्रवचन में बताती हैं कि
निराकार को प्राप्त होना ही आवश्यक है बाकी सब चीज बेकार हैं, अनेक साधु-संत एक ही बात कहते आये हैं कि हमें परमात्मा को प्राप्त करना है, लेकिन हमने तो परमात्मा को देखा नहीं, हमने तो परमात्मा को जाना नहीं फिर हम उन्हें किस तरह से प्राप्त करें ।
एक होने के लिए हमें क्या करना चाहिए और क्या हममें होना चाहिए ? जिससे हम सब एक हैं, ये सिर्फ दिमागी जमा खर्च न हो, सिर्फ भावना मात्र न हो लेकिन ये हमारे अंदर सत्य स्वरूप में प्रकट हो, इसके लिए हमारी आत्मा का हमें दर्शन होना चाहिए क्योंकि आत्मा जो है ये विश्वव्यापी है, हमारे अंदर आत्मा का जो दर्शन हो रहा है वो एकमेव परमात्मा का दर्शन हमारे अंदर हो रहा है l परमात्मा को हम निराकार में ही प्राप्त कर सकते हैं, उस निराकार को प्राप्त करने के लिए आपको मधुकर होना चाहिए l