मंदसौर। मध्य प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के समस्त आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए जनपद और जिला शिक्षा केंद्र जिला शिकायत केंद्र कई लोगों की जागीर बन गया हैं, अपने राजनीतिक आकाओं के चलते इन्होंने समस्त आदेशों को कूड़े के ढेर में फेंक दिया है अगर इनकी जगह कोई शिक्षक अध्यापक होता तो उसे कभी के यह आदेश की अवहेलना करने पर निलंबित कर देते, पर दूध देती गाय के लात भी खाकर प्रभारी डीपीसी अपने चहेते बीआरसी शोएब खान और मल्हारगढ़ और प्रवीण व्यास भानपुरा को गले लगाए हुए क्योंकि प्रभारी डीपीसी खुद अवैध रूप से जिला परियोजना समन्वयक के पद पर कुंडली मारकर बैठे हैं, जो खुद अवैध रूप से ऐसे पद पर बैठा है उससे नियमों के पालन की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। जहां की कम से कम द्वितीय श्रेणी वर्ग का अधिकारी होना चाहिए किंतु मात्र तृतीय श्रेणी वर्ग का कर्मचारी अपनी जोड़ तोड़ और जुगाड़ के चलते एक नहीं कई विभागों में कब्जा जमाए बैठा है क्योंकि राजनीतिक आकाओं से प्रशासनिक अधिकारियों पर प्रेशर बनाने में माहिर है।
शोएब खान मल्हारगढ़ का बीआरसी जिसकी प्रतिनियुक्ति 24 मई 2016 को ही समाप्त हो चुकी है, उसके बाद भी वह अपने पद पर जुगाड़ करके बना हुआ हैं।
जिला शिक्षा केंद्र के आदेश क्रमांक/ स्थापना /2017/ 855 -मंदसौर दिनांक 3 जून 17 को अपने मूल विभाग जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के कार्य मुक्त कर दिया और इन्होंने अपनी उपस्थिति जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में नहीं दी, क्योंकि इन्हें अगर वहां दे देते तो स्कूल के लिए इनको मूल शाला के लिए भेज दिया जाता किंतु जोड़-तोड़ ,जुगाड़ करके यह अपने पद पर बने रहने के लिए अनेक प्रयास करते रहे।
इसके बाद भी इनकी इनका सविलियन अंतर निकाय लोक शिक्षण संचनालय मध्यप्रदेश के आदेश क्रमांक /अध्या/संवी/ 2017 18/ 274- भोपाल दिनांक 16 /3/ 2018 के परिपालन में शोएब खान का की पदस्थापना अंतर विभागीय सविलियन के अंतर्गत हायर सेकेंडरी स्कूल जमुनिया कला जनपद नीमच में हो गई थी किंतु बीआरसी का पद इतना रास आया कि यह इसको किसी भी हालत में छोडऩा नहीं चाहते और प्रभारी डीपीसी के कमाऊ पूत बनकर अपने आप को पहले तो भाजपा के नेताओं की गलबहियां थे और अब कांग्रेस के नेताओं के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहे हैं, ताकि बीआरसी के पद पर यह बने रहें और इनकी दुकानदारी यथा स्थिति चलती रहे, कमल कांग्रेसी कतिपय नेताओं ने इनकी शिकायत को जैसे-तैसे उन्हें मैनेज करने में लगे हुए हैं और लगता है कि बहुत जल्दी ही दलाल टाइप कमल कांग्रेसी हैं उनके मार्फत इनकी पहुंच प्रभारी मंत्री तक यह बनाने की कोशिश में है किंतु कांग्रेस की निष्ठावान कार्यकर्ता इन्हें यहां से रवाना करने पर तुले हुए हैं।
हो सकता है कि अगर अधिक समय ये यहां रहे तो कांग्रेसी कार्यकर्ता धरना आंदोलन भी कर सकते हैं जिसमें इनको आखिरकार जाना ही पड़ेगा क्योंकि अब इनकी चल चलाव् के दिन आ गए हैं यह कितना भी कोशिश कर ले किंतु इनकी जीर्ण शीर्ण नाव ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी, क्योंकि इनकी नाव में इतने छेद हो गए हैं कि एक को बंद करते हैं तो 10 ओपन हो रहे हैं। इन्होंने जितने भी अशासकीय विद्यालयों को मान्यता दिलाई है उसकी भी जांच करवाने की मांग की हैं मल्हारगढ़ के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने की है, अगर इन्हें हटा करके इनके द्वारा अनुशंसा किए गए अशासकीय विद्यालयों की पुन: जांच हो जाएगी तो लगभग 70 फीसदी ऐसे विद्यालय उन्होंने मान्यता दिला दी है जो अ निर्धारित शर्तें पूरी नहीं कर रहे हैं।
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