निश्चित जल नीति के अभाव में प्रतिमाह 26 दिनों का पानी व्यर्थ बह रहा शहर में, प्रति परिवार आवश्यक्ता 300 लीटर, आपूर्ति 554 लीटर, प्रतिमाह 19.78 करोड़ 45 हजार 680 लीटर पानी अतिरिक्त वितरण
पालो रिपोर्टर = मंदसौर
अक्सर नपा सहित प्रशासन व कई जिम्मेदार ज्ञान के महासागर पानी बचाओ… पानी बचाओ… पर चौक-चौराहों और गली-मोहल्लों में ज्ञान ढोलते दिख जाते हैं, किंतु मैदानी हकीकत पर गौर करें तो खुद नपा सहित जिला प्रशासन या अन्य किसी जिम्मेदार ने खुद आज तक शहर में पानी बचाने के लिए कोई प्रभावी पहल नहीं की है। इसका खुलासा हो रहा है पालो की इस विशेष रपट से जिसमें हमने पड़ताल की है, कि प्रति दो दिन प्रति परिवार को 300 लीटर पानी की आवश्यक्ता होती है। जबकि नपा 554 लीटर पानी दे रही है। पेयजल वितरण के लिए नपा के इस अंधे माप दंड के कारण प्रतिमाह शहर में उतना पानी व्यर्थ बह रहा है, जितने में आसानी से एक दिन छोड़कर एक दिन 26 दिनों तक पेयजल व्यवस्था की जा सकती है। आंकड़ों पर गौर करें तो प्रतिमाह 19 करोड़ 78 लाख 45 हजार 680 लीटर पानी व्यर्थ बह रहा है।
नपा की पेयजल वितरण व्यस्था पर गौर करें तो शहरभर के 25964 नल कनेक्शन में एक दिन छोड़कर एक दिन पेयजल वितरण किया जाता है। इसमें से शिवना नदी से 1.26 करोड़ लीटर पानी सप्लाय होता है और शेष 18 लाख लीटर पानी गांधी नगर, मेघदूत नगर, यश नगर, ऋषियानंद नगर, तेलिया तालाब, स्थित कुओं से लिया जाता है। इस तरह कुल 1 करोड़ 44 लाख लीटर पानी प्रतिदिन शहर में वितरित किया जा रहा है। नपा के इस मापदंड पर गौर करें तो जानकारों के अनुसार यह मापदंड समय के अनुसार चलता है। ठंड व बरसात के दौरान लगभग 30 मिनट नल दिए जाते हैं, जबकि ग्रीष्मकाल में इस समय में करीब 15 मिनट का इजाफा कर 45 मिनट कर दिया जाता है। इस मान से यह स्पष्ट है, कि नपा के जिम्मेदारों ने कभी यह नीति तय करने का प्रयास नहीं किया कि वाकई प्रति परिवार में कुल कितने पानी की खपत प्रतिदिन होती है और नपा उसके उपर कितनी आपूर्ति कर रही है। पालो की पड़ताल में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, कि नपा के इस अंधे मापदंड के चलते प्रति परिवार में 254 लीटर पानी अतिरिक्त पहुंच रहा है, जबकि हर परिवार को औसतन दो दिनों में करीब 300 लीटर पानी की आवश्यक्ता होती है, जिसमें परिवार के हर सदस्य के पानी पीने से लेकर स्नान करने, नीत्य कर्म करने, कपड़े धोने, पौछा लगाने, बर्तन साफ करने आदि तक का आंकलन आ चुका है।
फिर मीटर लगेंगे शहर में
करीब 2 दशक पहले तक शहर के हर नल पर एक मीटर हुआ करता था, जिससे कि जिस परिवार को जितनी जरूरत हो उतना ही पानी नल से लिया जाए। क्योंकि इस मीटर के मान से पानी का बिल भी आता था। किंतु धीरे-धीरे ये व्यवस्था गर्त में चली गई, जिसके चलते बड़े पैमाने पर पानी व्यर्थ बह रहा है। अब इससे निपटने के लिए नपा एक बार फिर यह व्यवस्था लागू करने वाली है। नपा के जिम्मेदारों की माने तो तीन चरणों में से पहला चरण शहर में नया फिल्टर प्लांट व तीन नई टंकियां पूर्ण हो चुका है। दूसरे चरण में चंबल का पानी शिवना में आना है और तीसरे व अंतिम चरण में वितरण लाइन पूरे शहर में बिछेगी, जिसमें प्रति नल पर मीटर लगेंगे। जिससे कि आसानी से पेयजल के अपव्यय पर लगाम कसी जा सके।

पालो की सर्वे रिपोर्ट
प्रति परिवार में प्रतिदिन पानी की खपत के लिए पालो रिपोर्टर ने निम्न वर्ग, मध्यम वर्ग व उच्च वर्ग के करीब 15 परिवारों से अलग-अलग चर्चा कर एक सामान्य सर्वे किया। इस सर्वे में औसतन आंकड़ा यह आया कि प्रति व्यक्ति नहाने में 10 लीटर, नित्यकर्म करने में 5 लीटर, पीने में 5 लीटर यानि कुल 20 लीटर पानी उपयोग करता है। एसे में औसतन प्रति परिवार की संख्या 5 मानी गई है अर्थात् प्रति परिवार प्रतिदिन 100 लीटर पानी इन कार्यों में उपयोग करता है। शेष कपड़े धोने, खाना बनाने, बर्तन मांजने, पौछा लगाने आदि कार्यों पर प्रतिदिन 50 लीटर पानी और मान लिया जाए। जबकि हर घर में रोज कपड़े धुलते नहीं है। इस मान से कुल 150 लीटर पानी प्रतिदिन उपयोग हो रहा है। इधर, नपा हर दो दिन छोड़कर नल दे रही है यानि एक बार नल से आने वाला पानी दो दिन चलाना होता है। मतलब दो दिन में एक परिवार की खपत 300 लीटर है। जबकि नपा में पंजीकृत कुल नल कनेक्शन 25964 हैं, जिनमें एक बार में 1 करोड़ 44 लाख लीटर पानी नपा छोड़ रही है, जो प्रति नल में 554 लीटर पानी पहुंच रहा है। जबकि आवश्यक्ता 300 लीटर पानी की ही है। वैसे रोज किसी के यहां मेहमान नहीं आते, लेकिन फिर भी औसतन प्रति परिवार में दो मेहमान रोज भी मान लिए जाएं और उनका भी 40 दूना 80 लीटर पानी इसमें समावेश करें तो 380 लीटर पानी उपयोग होता है। बावजूद इसके नपा की अंधी पेयजल वितरण व्यवस्था के आगे हर नल में 174 लीटर पानी अधिक पहुंच रहा है, जो कि या तो आम तौर पर लोग गाडिय़ां धोने, घरों के बाहर छिड़काव करने, बाल्टियां भर-भरकर पट्टियां धोने, शोचालय में जबरन ढोलने अथवा व्यर्थ बहाने में उपयोग कर रहे हैं।
शिवना के मापदंड पर पालो की पीएचडी
नपा के जिम्मेदारों की माने तो शिवना नदी में 30 जून तक वितरण व्यवस्था का पानी आसानी से उपलब्ध है। शनिवार को कालाभाटा बांध का लेवल 15.2 फिट व रामघाट का 2.6 फिट मापा गया। नपा के 30 जून तक के दावे की भी यदि पड़ताल की जाए तो वाकई शहर में पेयजल संकट के बादल फिलहाल अब तक तो नहीं मंडरा रहे हैं। क्योंकि 15 जून तक लगभग मानसून सक्रिय हो जाता है और नपा हर 24 दिन में कालाभाटा से 10 फिट पानी रामघाट में ले रही है, जो कि कालाभाटा के मापदंडों के अनुरूप वर्तमान जल स्तर से डेड़ फिट है। जब कालाभाटा का यही जल स्तर 12 फिट से नीचे पहुंचेगा तो इस प्रक्रिया में कालाभाटा 2 फिट कम होगा। इसी तरह 10 फिट से नीचे की स्थिति में जब रामघाट पर पानी लाया जाएगा तो कालाभाटा ढाई से तीन फिट कम होगा। यानि 15 मार्च को जो 10 फिट पानी पुन: रामघाट से लिया जाना है वो 7 अप्रैल तक चलेगा। इसके बाद कालाभाटा में 13 फिट पानी बचेगा जिसमें से 10 फिट पुन: रामघाट पर लिया जाएगा, जो 30 अप्रैल तक चलेगा। तब पुन: पहले से 13 फिट भरे हुए कालाभाटा से पानी लेंगे तो वहां 11.5 फिट बचेगा। यह पानी 22 मई तक तब पुन: वहीं प्रक्रिया नपा दौहराएगी और 11.5 फिट भरे कालाभाटा से पानी लिया जाएगा तो वहां 9.5 फिट ही बचेगा, जो कि कालाभाटा का डेड स्टॉक कहलाता है। यह पानी 15 जून तक चलेगा और आखरी के 15 दिन डेड स्टॉक से काम आसानी से चल सकेगा। हालांकि इस दौरान प्रति दिन दिन एक इंच के मान से करीब 9 इंच पानी कालाभाटा से व पौने 4 फिट पानी वाष्प बनकर उढऩे की संभावना भी है। बावजूद इसके इस साल भी शहर में पेयजल संकट के बादल बादल फिलहाल तो नजर नहीं आते। क्योंकि कालाभाटा में 15 जून तक बचे 9.5 फिट पानी में से रामघाट व कालाभाटा से वाष्प में उढऩे वाले पानी का अनुमानित आंकड़ा साढ़े 4 फिट हटा भी दिया जाए तो भी 5 फिट पानी शेष बचेगा जो आसानी से अगले 15 दिन शहर को वितरित किया जा सकता है।
फैक्ट फाइल
नल कनेक्शन: 25964
शहर की जनसंख्या: 141676
प्रति दिन वितरण: 1,44,00,000 ली
प्रति परिवार प्रतिदिन: 150 ली
औसत खपत
नपा द्वारा प्रति नल: 554 ली
प्रति दो दिन आपूर्ति (स्त्रोत नपा मंदसौर)
इतना पानी प्रतिदिन पीयें
जब प्रतिदिन एक व्यक्ति द्वारा पानी के उपयोग की बात चल ही रही है, तो मामले में चिकित्सकीय राय भी ले लिए जाए कि आखिर चिकित्सा विज्ञान की राय में प्रति व्यक्ति को कितना पानी पीना चाहिए। मामले में प्रख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ प्रीति मनावत की माने तो प्रति व्यक्ति को लगभग 5 लीटर पानी प्रतिदिन पीना चाहिए, जिससे कि शरीर में पानी की कमी न हो व तरावट रहे। जबकि इस तेजी से दौड़ती जिंदगी में प्रति व्यक्ति करीब 2 लीटर पानी ही प्रतिदिन पी पा रहा है।
चिंता ना करें शहरवासी
शहर में आसानी से 30 जून तक पेयजल वितरण हो सके एसी व्यवस्था हमारे पास है। किसी प्रकार का पेयजल संकट शहर पर नहीं आने दिया जाएगा। प्रतिदिन वितरण का अब तक कोई मापदंड नहीं है, जिसके चलते लोग अनाप-शनाप तरिके से पुराने पानी को व्यर्थ बहाकर नया भरते हैं। जबकि लोगों गुजारिश है, कि वे इस मानसिकता के विपरित जितना पानी उपयुक्त है उतना लेकर नल में बूच कस देना चाहिए। नपा की ओर से इस पर लगाम कसने के लिए जल्द ही मीटर कनेक्शन का कार्य किया जाना है।
-पुलकित पटवा, जलकल सभापति, नपा
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